Lucknow: देश में बढ़ती महंगाई को लेकर कांग्रेस का प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार पर हमला जारी है. इसी कड़ी में कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता, सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफार्म की चेयरपर्सन सुप्रिया श्रीनेत ने सोमवार को लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस की. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी विपक्ष में रह कर बहुत बड़ी-बड़ी बात करते थे. आज उन्होंने ही जनता को महंगाई के बोझ तले दबा दिया है.
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि देश में 83 प्रतिशत लोगों की आय घट गयी है. इस स्थिति में भी देश को महंगाई तले रौंदा जा रहा है. यह महंगाई पेट्रोल, डीज़ल तक ही सीमित नहीं है. आटा, दाल, चावल, दूध, दही, लस्सी के दामों में भी आग लगी है. सरकार की वित्त मंत्री कहती है न हम दही पीते है और न ही प्याज, लहसुन खाते हैं.
मनमोहन सिंह की सरकार में 27 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला गया था. इस समय 23 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गये हैं. देश की अर्थव्यवस्था कोरोना काल के पहले नोटबंदी और जीएसटी के चलते खराब होने लगी थी. वर्ष 2016 तक ग्रोथ रेट गिरकर 4.1 हो चुका था. पिछले आठ वर्षों में मोदी सरकार का रिकॉर्ड इस सच्चाई को उजागर करता है.
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 2019 में मतदाताओं के सामने इस बात का दंभ भरा था कि खाद्यान्न, दही, लस्सी और छाछ जैसी आवश्यक वस्तुओं को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है. लेकिन 2022 में उन्होंने उन्हीं वस्तुओं पर जीएसटी लगा दी. हर बार की तरह जब पकड़े गए तो ठीकरा राज्य सरकारों के सिर पर फोड़ दिया.
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि पीएम मोदी ने 2019 के चुनाव में लोगों से वोट लेने के लिए उज्ज्वला योजना का खूब प्रचार किया. लेकिन चुनावों के तुरंत बाद उन्होंने संवेदनहीनता दिखाते हुए रसोई गैस पर सब्सिडी को ख़त्म कर दिया. रसोई गैस की कीमतों में दोगुनी से अधिक वृद्धि करके, उसे 1,053-1200 रुपये प्रति सिलेंडर तक पहुंचा दिया. करोड़ों उपभोक्ता आज अपने खाली गैस सिलेंडर को फिर से भराने की स्थिति में नहीं हैं. क़रीब 4.5 करोड़ लोगों ने तो सिलेंडर भराया ही नहीं.
सुप्रिया श्रीनेत पेट्रोल, डीज़ल और एलपीजी की की कीमतों को लेकर भी बीजेपी सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि वैश्विक कीमतें 2021-22 की तुलना में 2013-14 में बहुत अधिक थीं. लेकिन उपभोक्ता आज एक लीटर ईंधन या एलपीजी सिलेंडर के लिए यूपीए शासन काल की तुलना में कहीं अधिक भुगतान कर रहा है. मई 2014 में कच्चा तेल 106 डॉलर प्रति बैरल था. उस समय पेट्रोल की कीमत 71 रुपये प्रति लीटर और डीजल 55 रुपये प्रति लीटर था. अगस्त 2022 में कच्चा तेल 97.01 डॉलर प्रति बैरल है. इसके बावजूद पेट्रोल की कीमत 95-112 रुपये है. डीजल की कीमत 90-100 रूपये तक है.
एलपीजी वर्ष 2013-14 में 881 डॉलर प्रति मीट्रिक टन थी. उस समय प्रति सिलेंडर 410 रुपये में मिल जाता था. अगस्त 2022 में एलपीजी की कीमत 670 डॉलर प्रति मीट्रिक टन है. दाम घटने के बावजूद प्रति सिलेंडर 1053-1240 रुपये का है. कच्चे तेल और रसोई गैस की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें पिछले कुछ महीनों से कम हो रही हैं, लेकिन उपभोक्ताओं को इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है. वर्ष 2014 से अब तक केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी 13 बार बढ़ाई है और 2 बार घटायी है. पहले राज्यों को तीन रुपया प्रतिलीटर टैक्स के रूप में मिलता था. जो अब घट कर 57 पैसा प्रति लीटर हो गया है. 72 हजार करोड़ टैक्स का राज्य सरकारों का केंद्र पर बकाया है.
सरकार की युवा विरोधी नीतियों के कारण केंद्र और राज्य सरकारों को मिलाकर 60 लाख पद खाली पड़े हैं. आज जब 45 वर्षों में सबसे अधिक बेरोजगारी है. सात वर्षो में 22 लाख आवेदन आये जिसमें सात लाख लोगों को ही नौकरी मिल सकी. 42 प्रतिशत लोगों ने नौकरी खोजना ही बंद कर दिया. अग्निपथ योजना हमारे युवाओं के लिए रोज़गार की संभावनाओं के साथ तो खिलवाड़ करती ही है. सशस्त्र बलों में शामिल होकर अपने देश की सेवा करने का सपना देखने वाले युवकों और युवतियों को 4 साल के लिए संविदा आधार पर नौकरी का प्रस्ताव दिया जा रहा है. जिसमें पेंशन या सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है.