कांग्रेस विधायक अदिति सिंह और बसपा विधायक वंदना सिंह ने थामा कमल, स्वतंत्रदेव सिंह ने दिलाई सदस्यता
कांग्रेस विधायक अदिति सिंह और बसपा विधायक वंदना सिंह ने बुधवार को वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी की मौजूदगी में भाजपाई बन गए.
Lucknow News : कांग्रेस विधायक अदिति सिंह और बसपा विधायक वंदना सिंह ने बुधवार को वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी की मौजूदगी में भाजपाई बन गए.
बता दें कि आजमगढ़ की सगड़ी सीट से बसपा विधायक वंदना सिंह और रायबरेली से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह दोनों ही अपने क्षेत्रों में काफी चर्चित और प्रभावशाली मानी जाती हैं. बीते कई दिनों से काफी नाटकीयता का दौर चल रहा था. अदिति सिंह पार्टी के नेतृत्व पर ही हमेशा सवाल उठाती रहती थीं. वहीं, कांग्रेस पार्टी ने अदिति सिंह को आदेशों का पालन नहीं करने और पिछले साल विशेष विधानसभा में भाग लेने के लिए उनकी आलोचना की थी. हाल ही में बीते कुछ दिनों से अदिति सिंह ने खुद को रायबरेली के कांग्रेस व्हाट्सएप्प ग्रुप से खुद को अलग कर दिया था. इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने कहा कि यह दोनों विधायक अपने क्षेत्रों में काफी प्रभाव रखती हैं. आने वाले समय में इसका कांग्रेस और बसपा दोनों पर काफी प्रभाव पड़ सकता है. हालांकि, वह टिकट आदि देने के सवालों से बचते हुए कार्यक्रम के समापन पर आ गए.
भाजपा प्रदेश कार्यालय में विभिन्न दलों के लोग पार्टी की सदस्यता ग्रहण करते हुए…#BJP4UP https://t.co/9tJ8PZmGHA
— BJP Uttar Pradesh (@BJP4UP) November 24, 2021
वहीं, यूपी के आजमगढ़ से सगड़ी विधानसभा क्षेत्र के नरायनपुर गांव निवासी वंदना सिंह को राजनीति विरासत में मिली है. वंदना के ससुर राम प्यारे सिंह व पति सर्वेश सिंह सीपू भी सगड़ी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं. रामप्यारे सिंह मुलायम सिंह सरकार में पर्यावरण मंत्री भी रहे थे. वर्ष 2013 में सर्वेश सिंह सीपू की हत्या के बाद परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए वंदना सिंह राजनीति में उतर गई थीं. जनता ने भी इनके साथ पूरी सहानुभूति दिखाई थी. इसी क्रम में वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने इन्हें सगड़ी से टिकट दिया था. वंदना सिंह को कर्मठ और संवेदनशील नेता कहा जाता है. मगर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से एक मुलाक़ात के बाद उन्हें बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी से बर्खास्त कर दिया था. उन पर बसपा में पार्टी विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने का आरोप लगा था.