Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर और कांग्रेस का पुराना नाता रहा है. 1992 में जब ढांचे को गिराया गया तब भी केंद्र में कांग्रेस की ही सरकार थी. उसके बाद से या उससे पहले भी बीजेपी हर बार राम मंदिर के पक्ष में खड़ी रही है और कांग्रेस पर यह आरोप लगाया है कि यह पार्टी इसका विरोध करती है. अब जब मंदिर बनकर लगभग तैयार है तो ट्रस्ट ने कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों को निमंत्रण भेजा है जिसे कांग्रेस ने खारिज कर दिया है. बुधवार, शाम यह खबर आई कि रामलला की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी शामिल नहीं होंगे. ऐसे में कांग्रेस ने इसका अपना कारण दिया है वहीं, कई साधु-संतों और बीजेपी नेताओं ने इस कदम का विरोध किया है.
खबरों की मानें तो 1985 में दूरदर्शन पर रामानंद सागर की रामायण का प्रसारण आरंभ किया था, जो राजीव गांधी के कहने पर हुआ था. इसके बाद, शाह बानो प्रकरण के बाद, राजीव गांधी ने हिंदू समुदाय को और भी कुछ देने की उद्देश्य से कुछ महीने बाद ही राम मंदिर का ताला खोलने का निर्णय लिया. उन्होंने इसके लिए उत्तर प्रदेश के तत्काली सीएम वीर बहादुर सिंह को मनाया और राम जन्मभूमि के ताले को खोला. इससे पहले, राजीव गांधी के निर्णय के अनुसार, राम मंदिर में पुजारी को साल में केवल एक बार पूजा करने का अधिकार था. 1949 में यहां भगवान राम की मूर्ति स्थापित की गई थी. लेकिन, आम तौर पर कांग्रेस पर राम मंदिर का विरोध करने का आरोप लगते रहा है. चूंकि, कांग्रेस के ही दो दिग्गज नेता मंदिर के खिलाफ कोर्ट में वकील थे.
कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा में खरगे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी शामिल नहीं होंगे. इसके पीछे का कारण उन्होंने दिया कि यह भाजपा और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) का आयोजन है तथा ‘अर्द्धनिर्मित मंदिर’ का उद्घाटन चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्षी दल का दिमाग ठीक उसी तरह खराब हो गया है जैसा कि त्रेता युग में रावण का हो गया था तथा प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का बहिष्कार करने वालों का जनता चुनाव में बहिष्कार करेगी.
कांग्रेस के इस फैसले को लेकर भाजपा नेता और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने दावा किया कि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का बहिष्कार करने वालों का जनता चुनाव में बहिष्कार करेगी. अनुराग ठाकुर ने संवाददाताओं से यह कहा कि कांग्रेस के रुख में कुछ भी नया नहीं है, उन्होंने हमेशा भगवान राम का विरोध किया है और सनातन (धर्म) को बदनाम करने की कोशिश की है. उन्होंने कई मौकों पर भगवान राम के अस्तित्व को भी नकार दिया है.
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वहीं, बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने यह कहा है, ‘कांग्रेस ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया. कांग्रेस ने जी20 शिखर सम्मेलन का बहिष्कार किया. 2004 के बाद 2009 तक, कांग्रेस ने कारगिल विजय दिवस बहिष्कार किया. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के नेतृत्व में मई 1998 में किए गए पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद कांग्रेस ने 10 दिनों तक कोई बयान नहीं दिया. कांग्रेस ने अपनी पार्टी के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के भारत रत्न समारोह का भी बहिष्कार किया था. ऐसे में जनता भी उनका सत्ता से बहिष्कार कर रही है.’