Lucknow News: राजधानी लखनऊ में कोआपरेटिव ‘सहकारी’ बैंक लिमिटेड के सर्वर को हैक कर 146 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने वाले साइबर अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. फ्रॉड करने वाले साइबर अपराधियों के संग गिरोह के 02 मास्टरमाइण्ड सहित 05 अभियुक्त लखनऊ से गिरफ्तार किए गये हैं.
इस बड़ी कार्रवाई के संबंध में एसटीएफ मुख्यालय की ओर से विस्तार से जानकारी दी गई है. बयान के अनुसार, अभियुक्तों ने 18 महीने में एक करोड़ रुपये की लागत से तीन हैकरों ने, छह डिवाइस, तीन कीलागर सॉफ्टवेयर खरीदकर तीन बैंक अधिकारियों की मदद से उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुख्यालय लखनऊ के सर्वर को हैक कर आरटीजीएस के 146 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई.
एसटीएफ ने इस मामले में राज्य के गृह विभाग में तैनात अनुभाग अधिकारी राम राज-पुत्र स्व. कालीचरन (फतेहपुर) और ध्रुव कुमार श्रीवास्तव-पुत्र विनोद कुमार श्रीवास्तव (शाहजहांपुर) को गिरफ्तार किया गया है. इसके अलावा कोआपरेटिव बैंक, सीतापुर के सहायक प्रबंधक कर्मवीर सिंह- पुत्र स्व. अमर सिंह (एटा), आकाश कुमार- पुत्र हंसराज (कानपुर) और बिहार के औरंगाबाद जिले के भूपेंद्र सिंह- पुत्र के.एन. सिंह को लखनऊ से गिरफ्तार किया है.
सभी गिरफ्तार आरोपियों के पास से एक बैंक आइडी कार्ड, 25 सेट आधार कार्ड और ब्लैंक चेक, 25 सेट निवास प्रमाण पत्र एवं भारतीय गैर न्यायिक स्टाम्प, 8 अदद मोबाइल फोन, 07 अदद एटीएम कार्ड, 1 अदद आधार कार्ड, 1 अदद पैन कार्ड, 1 मैट्रो कार्ड, 01 अदद निर्वाचन कार्ड, 1 अदद डीएल, 25 सेट हाईस्कूल व इंटर के मूल अंक पत्र व प्रमाण पत्र, 1 अदद चार पहिया वाहन ( यूपी 32 एलपी 5255 क्रेटा), 2 अदद दो पहिया वाहन इसके साथ ही 15390 रुपए की नकदी बरामद की गई है.
एसटीएफ टीम की पूछताछ में साजिशकर्ता ध्रुव कुमार श्रीवास्तव ने बताया ‘मैं लखनऊ में अपने मित्र के साथ मई 2021 में आया था और तब मेरी मुलाकात आकाश कुमार से हुई और आकाश के जरिये हम लोग एक ठेकेदार से मिले.’ उसने बताया कि मेरे पास एक हैकर है. यदि हम लोग बैंक के किसी अधिकारी को सेट कर लें तो बैंक के सिस्टम को रिमोट एक्सिस पर लेकर हम लोग लगभग 300.00 करोड़ रुपये अपने खातों में ट्रांसफर कर लेंगे. इसके बाद हम लोगों की मीटिंग भूपेन्द्र सिंह के माध्यम से कर्मवीर सिंह सहायक प्रबन्धक, उ0प्र0 कोआपरेटिव बैंक लि0, महमूदाबाद से हुई.
पूछताछ में आगे बताया कि, इसके बाद भूपेंद्र सिंह के जरिये हम लोगों की बैठक कोआपरेटिव बैंक के सहायक प्रबंधक कर्मवीर सिंह से हुई. फिर हैकर ने एक डिवाइस तैयार की और आठ बार प्रयास के बाद भी सफलता नहीं मिली. इसके बाद लोकभवन में गृह विभाग में तैनात अनुभाग अधिकारी राम राज से इसी बीच हम लोगों की मुलाकात हुई, जिनकी टीम में उमेश गिरी था जिसने आर.एस.दुबे (पूर्व बैंक प्रबन्धक) से सम्पर्क किया.
साजिशकर्ता ने आगे बताया कि, आर0एस0दुबे, रवि वर्मा व ज्ञानदेव पाल सायः 6ः00 बजे के बाद बैंक गये, और डिवाइस लगाई. 15 अक्टूबर को सुबह हम लोग (05 टीमों के लगभग 15-20 लोग के साथ) केडी सिंह बाबू स्टेडियम के पास पहुंचे. इसके बाद रवि वर्मा व आर0एस0 दुबे बैंक के अन्दर गये क्योंकि जब बाहर से ट्रांजेक्शन होता तो वह लोग सिस्टम में इंस्टॉल सॉफ्टवेयर को अइंस्टॉल कर देते व सिस्टम में लगे डिवाइस व बैंक में लगे डी0वी0आर0 को निकाल लेते, परन्तु गार्ड ने उनको अन्दर टोक दिया, जिसके पश्चात यह लोग वापस आ गये.
इसके पश्चात लंच के समय पर ज्ञानदेव पाल, उमेश गिरी, बैंकर व साइबर एक्सपर्ट के साथ मिलकर 146.00 करोड़ रुपये गंगासागर सिंह की कम्पनियों के अलग अलग खातें में आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर कर दिये. इसके पश्चात सभी गैंग के सदस्य ब्रेक प्वाइन्ट ढावा लखनऊ अयोध्या रोड़ बाराबकी पर गये, इसी बीच गंगासागर के एकाउंट फ्रीज हो गये. 2-3 घंटे तक जब रुपये गंगासागर के एकाउंट से ट्रान्सफर नहीं हुए तब मैं भी अपनी टीम के साथ नैनीताल भाग गया व अन्य लोग भी फरार हो गये.