Bareilly News: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का 83 वर्ष की उम्र में 10 अक्टूबर को लंबी बीमारी के बाद गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया था. उनके निधन के बाद सपाइयों के साथ ही देशभर में नेताजी को चाहने वाले लाखों लोग अभी भी गमजदा हैं. उनके अंतिम संस्कार में विपक्षी नेताओं के साथ ही बड़ी संख्या में भीड़ जुटी थी.सपा संस्थापक के निधन के बाद उनके पौत्र (पोते) अर्जुन यादव के टि्वटर हैंडल से नेताजी को भारत रत्न देने की मांग उठी है.
यह टि्वटर हैंडल अर्जुन यादव के नाम से बना है. अर्जुन यादव का फोटो लगा है.इसके साथ ही नेताजी, अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के पुराने नेताओं की फोटो भी लगी है. समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह के साथ ही बदायूं के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव भी नेताजी के साथ खड़े हैं. यह काफी पुराना है. जिसमें 13.1 लाख प्वाइंट से अधिक फॉलोवर हैं. इसके फर्जी होने की भी अफवाह उड़ती है. मगर, सपा की तरफ से कोई ऐतराज नहीं किया गया है. यह काफी समय से लगातार चल रहा है. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के पुत्र अर्जुन यादव के ट्विटर हैंडल से सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव को भारत रत्न देने की मांग की गई है.
इसमें लोगों से राय भी मांगी गई. इस पर नीतीश यादव, राम सिंह यादव, सुशील कुमार वर्मा, डॉ योगेश यादव, अरविंद कुमार,हिमांशु यादव और निरंजन यादव आदि ने भी सोशल मीडिया पर नेताजी को भारत रत्न देने की मांग की है.अर्जुन यादव ने लिखा है “आदरणीय (दादा जी) श्री मुलायम सिंह यादव जी को भारत रत्न मिलना चाहिए. क्या आप सभी चाहते हैं? इसके बाद भी तमाम लोगों ने भारत रत्न देने की मांग का समर्थन किया है. इसके साथ ही गोंडवाना समाज के सैकड़ों कार्यकर्ताओं के मुलायम सिंह यादव को भारत रत्न मांग की रैली का फोटो भी लगा है.
नेताजी को भारत रत्न देने की मांग सोशल मीडिया पर रफ्तार पकड़ने लगी है. इससे साफ है कि आने वाले समय में नेताजी को भारत रत्न मिलना तय है. उन्होंने सियासत के क्षेत्र में कई बड़े कार्य किए हैं. मुलायम सिंह यादव की ही बदौलत यूपी को पहला दलित सीएम मिला था. मुलायम सिंह यादव ने यूपी में दलित- ओबीसी की राजनीति की शुरुआत की.इस कारण 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भी 1993 में मुलायम सिंह यादव ने सरकार बनाई. इसके बाद 2007 में बसपा प्रमुख मायावती ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. उन्होंने 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा किया. 2019 के चुनाव में भी सपा और बसपा एक बार फिर गठबंधन से लड़े थे.
बसपा ने 10 जबकि सपा ने 5 लोकसभा सीट पर कब्जा जमाया. मुलायम सिंह के सत्ता में आने के बाद ओबीसी जातियों का उदय हुआ. 27 फीसद की आरक्षण में शुरुआत की गई. उनकी इस राजनीति के चलते भाजपा को भी 1991 में ओबीसी नेता कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री बनाना पड़ा.मुलायम सिंह ने सबसे अधिक यादव वोटर्स को अपनी तरफ खींच कर ओबीसी का प्रतिनिधि किया. इसके बाद ओबीसी के बड़े नेता बने. मुलायम सिंह यादव की राजनीति की बदौलत सवर्णों को पीछे करना पड़ा. ओबीसी जातियों का सियासत में उदय हुआ.वह यूपी के तीन बार मुख्यमंत्री और एक बार केंद्र में रक्षा मंत्री रहे थे.
Also Read: Bareilly Flood: बरेली कमिश्नर ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का किया निरीक्षण, अफसरों को दी सख्त हिदायत
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद