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IT Raids On Piyush Jain: DGGI ने पीयूष जैन मामले में कैश को लेकर लिखी गईं खबरों को नकारा, कही ये बात

महानिदेशालय ने बताया है कि उसके संदर्भ में मीडिया के कुछ वर्गों में ऐसी खबरें सामने आई हैं कि डीजीजीआई ने बरामद नकदी को विनिर्माण इकाई के कारोबार के रूप में मानने का फैसला किया है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 31, 2021 6:48 AM

IT Raids On Piyush Jain: घर के कोने-कोने में कैश रखने वाले कन्नौज के इत्र व्यापारी पीयूष जैन के मामले में गुरुवार 30 दिसंबर की शाम एक नया मोड़ आ गया है. गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस महानिदेशालय (DGGI) ने इस मामले में मीडिया में चल रही कई तरह की खबरों को एक सिरे से नकार दिया है.

इस बाबत डीजीजीआई ने जानकारी दी है कि कन्नौज की इत्र बनाने की कंपनी मेसर्स ओडोकेम इंडस्ट्रीज की जांच की जा रही है. महानिदेशालय ने बताया है कि उसके संदर्भ में मीडिया के कुछ वर्गों में ऐसी खबरें सामने आई हैं कि डीजीजीआई ने बरामद नकदी को विनिर्माण इकाई (Manufacturing Unit) के कारोबार के रूप में मानने का फैसला किया है. साथ ही, इस मसले पर उसके मुताबिक ही आगे की प्रकिया बढ़ाने का निर्णय लिया है.

डीजीजीआई ने बताया है कि कुछ मीडिया घरानों ने यह भी खबर चलाई है कि पीयूष जैन ने अपनी देनदारी स्वीकार करने के बाद डीजीजीआई की स्वीकृति से कर बकाया के रूप में कुल 52 करोड़ रुपये जमा किए हैं. डीजीजीआई का कहना है कि ऐसी सभी खबरें पूरी तरह से काल्पनिक और आधारहीन हैं. डीजीजीआई इसका खंडन करती है.

डीजीजीआई ने इस संदर्भ में स्पष्ट किया है कि कारोबारी पीयूष जैन के घर और फैक्ट्री परिसर से जितना भी नकदी इकट्ठा हुई है, उसको जांच चलने तक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की सुरक्षित अभिरक्षा में केस संपत्ति के रूप में रखा गया है. मेसर्स ओडोकेम इंडस्ट्रीज द्वारा जब्त की गई राशि से उनकी कर देनदारियों के निर्वहन के लिए कोई कर बकाया जमा नहीं किया गया है. पीयूष जैन की कर देनदारियों का निर्धारण किया जाना अभी बाकी है.

डीजीजीआई की ओर जारी की गई सूचना में बताया गया है कि कारोबारी पीयूष जैन द्वारा किए गए स्वैच्छिक प्रस्तुतियां (Voluntary Submissions) चल रही जांच का विषय हैं. विभाग द्वारा जब्त किए गए कैश का श्रोत, मेसर्स ओडोकेम इंडस्ट्रीज पर कुल देनदारीं एवं तलाशी के दौरान विभिन्न ठिकानों से एकत्र किए गए साक्ष्यों की जांच के परिणाम पर आगे की रणनीति तय की जाएगी.

महानिदेशालय के मुताबिक, कर छुपाने सरीखे अपराध की स्वैच्छिक स्वीकृति और रिकॉर्ड पर उपलब्ध सुबूतों के आधार पर पीयूष जैन को सीजीएसटी अधिनियम की धारा 132 के तहत निर्धारित अपराधों के लिए 26 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था. वहीं, 27 दिसंबर को सक्षम न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था. माननीय न्यायालय ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.

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