इलाहाबाद हाईकोर्ट में दूसरे दिन भी पेश हुए DGP मुकुल गोयल, ASP-DSP पर कार्रवाई की दी जानकारी, जानें पूरा मामला

डीजीपी मुकुल गोयल दूसरे दिन भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में पेश हुए. बुधवार को कोर्ट ने उन्हें प्रयागराज में रुकने का निर्देश दिया था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 16, 2021 7:03 PM

Prayagraj News: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में जवाहर नवोदय विद्यालय में नाबालिग छात्रा की संदिग्ध हालात में हुई मौत के मामले में डीजीपी मुकुल गोयल दूसरे दिन भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में पेश हुए. इस दौरान उन्होंने मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में एएसपी और डीएसपी पर की गई कार्रवाई के बारे में कोर्ट को जानकारी दी. कोर्ट ने डीजीपी को दो माह में विवेचना पूरी करके जानकारी देने को कहा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट में डीजीपी मुकुल गोयल के अलावा कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल, मैनपुरी के एसपी अशोक कुमार राय और एसआईटी के मेम्बर भी पेश हुए. कोर्ट ने डीजीपी को बुधवार को प्रयागराज में ही रुकने का आदेश दिया था. कोर्ट ने अगली सुनवाई पर अनुपालन रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस एमएन भंडारी और जस्टिस एके ओझा की खंडपीठ ने महेंद्र प्रताप सिंह की जनहित याचिका पर मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. इस दौरान कोर्ट ने मामले में पुलिस की लापरवाही को लेकर भी कई गंभीर टिप्पणियां कीं.

कोर्ट ने डीजीपी से सर्कुलर जारी कर सीआरपीसी की धारा 173 का पालन कर दो माह में विवेचना पूरी करने का पुलिस अधिकारियों को निर्देश देने को कहा है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि पुलिस को प्रशिक्षण देने की जरूरत है. अधिकतर विवेचना कांस्टेबल करता है. दारोगा कभी-कभी ही जाते हैं.

कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि निष्पक्ष विवेचना न होने से सजा का रेट 6.5 फीसदी है, जबकि विदेश में यह 85 फीसदी है. सही विवेचना न होने से अपराधी छूट रहे हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि जांच में देरी से भी साक्ष्य नहीं मिल पाते. अपराधियों को मालूम है कि कुछ नहीं होगा.

बता दें, मैनपुरी के जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ने वाली एक छात्रा का 2019 में संदिग्ध अवस्था में फंदे से लटकता हुआ शव कमरे में मिला था. मृतक छात्रा की मां ने आरोप लगाया था कि हत्या कर शव को फंदे पर लटकाया गया है. पुलिस ने इस मामले में न तो केस दर्ज किया और न ही कोई कार्रवाई की. वहीं, 2021 में मुकदमा दर्ज होने के बाद भी पुलिस लापरवाह बनी रही. हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद मैनपुरी पुलिस मूकदर्शक बनीं रही और कोई एक्शन नहीं लिया.

Posted by : Achyut Kumar

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