UP Budget 2022: यूपी विधानसभा में आज बजट पर होगी चर्चा, हंगामा होने के पूरे हैं आसार
यूपी में दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार बनने के बाद ये पहला विधानसभा सत्र है. इसी के तहत कल यानी 26 मई को बजट पेश किया गया था. यह बजट 6.15 लाख करोड़ का है. आज इस सत्र के पांचवें दिन बजट पर चर्चा होनी है. सदन की कार्यवाही 11 बजे शुरू हुई.
UP Vidhan Sabha Budget Session 2022: उत्तर प्रदेश की 18वीं विधानसभा का पहला सत्र 23 मई को शुरू हुआ था. यह सत्र राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अभिभाषण से शुरू हुआ था. यूपी में दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार बनने के बाद ये पहला विधानसभा सत्र है. इसी के तहत कल यानी 26 मई को बजट पेश किया गया था. यह बजट 6.15 लाख करोड़ का है. आज इस सत्र के पांचवें दिन बजट पर चर्चा होनी है. सदन की कार्यवाही 11 बजे शुरू हुई.
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योगी सरकार ने कहा, उज्ज्वल भविष्य का ड्राफ्ट
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह बजट अगले 5 साल के विकास का लक्ष्य दर्शा रहा है. उज्ज्वल भविष्य का ड्राफ्ट बजट कहा जाना चाहिए. उन्होंने इसे जनआकांक्षाओं के मुताबिक बजट करार दिया है. सीएम योगी ने कहा कि नि:शुल्क सोलर पैनल को किसानों को मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है.
अखिलेश यादव ने बजट को नकारा
वहीं, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने बजट पेश होने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि योगी सरकार हमेशा ही दावा रहा है कि किसानों की आय दोगुनी कर दी जाएगी. मगर अब तक ऐसा नहीं हो सका है. उन्होंने रोजगार के मुद्दे पर भी सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि घोषणाओं में तो नौकरी के तमाम दावे किए जाते हैं मगर हकीकत में ऐसा कहीं नहीं दिखाई देता है. वहीं, उन्होंने बजट पर सवाल उठाते हुए कहा कि बच्चों की पढ़ाई के लिए कोई घोषणा नहीं की गई है.
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मायावती ने कहा-जनता की आंख में धोखा
यही नहीं बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट अटैक करते हुए लिखा था, ‘यूपी सरकार का बजट प्रथम दृष्टया वही घिसापिटा व अविश्वनीय तथा जनहित एवं जनकल्याण में भी खासकर प्रदेश में छाई हुई गरीबी, बेरोजगारी व गड्ढायुक्त बदहाल स्थिति के मामले में अंधे कुएं जैसा है, जिससे यहां के लोगों के दरिद्र जीवन से मुक्ति की संभावना लगातार क्षीण होती जा रही है.’ इसके आगे उन्होंने लिखा, ‘यूपी के करोड़ों लोगों के जीवन में थोड़े अच्छे दिन लाने के लिए कथित डबल इंजन की सरकार द्वारा जो बुनियादी कार्य प्राथमिकता के आधार पर होने चाहिए थे, वे कहां किए गए. स्पष्टतः नीयत का अभाव है तो फिर वैसी नीति कहां से बनेगी. जनता की आंख में धूल झोंकने का खेल कब तक चलेगा?’