Diwali 2022: दीपावली पर शाम 5 बजे के बाद मां लक्ष्मी की पूजा करने का है मुहूर्त, दिन में नहीं कोई योग
पंडित ऋषि द्विवेदी बताते हैं कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है लेकिन 25 अक्तूबर को लगने वाले सूर्यग्रहण के कारण तिथियों में फेरबदल हो गया है. 24 अक्तूबर दिन सोमवार को दिवाली का पूजन शाम 653 से लेकर रात्रि 816 बजे तक रहेगा.
Diwali 2022 Puja Muhurat: दीपावली पर्व की तैयारी अब पूरी हो चुकी है. माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने के लिए सभी मुहूर्त आदि जानना चाह रहे हैं तो यह जान लें कि आज दिन में पूजा का मुहूर्त नहीं है. शाम 5 बजे के बाद ही लक्ष्मी पूजन का समय शुरू हो रहा है. पूजा करने का यह योग कल यानी सोमवार शाम 4 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. यहां यह भी जान लें कि 25 को सूर्य ग्रहण लग रहा है. ऐसे में पूजा का समय आदि पूरी सावधानी के साथ बरतें.
4 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी
पंडित ऋषि द्विवेदी बताते हैं कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है लेकिन 25 अक्तूबर को लगने वाले सूर्यग्रहण के कारण तिथियों में फेरबदल हो गया है. 24 अक्तूबर दिन सोमवार को दिवाली का पूजन शाम 653 से लेकर रात्रि 816 बजे तक रहेगा. विद्वानों के अनुसार, इस बार दिवाली सभी के लिए मंगलकारी और धनधान्य से पूर्ण है. अमावस्या तिथि सोमवार को अमावस्या तिथि शाम 5 बजकर 27 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 25 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी.
कैसे करें दिवाली पूजा की तैयारी
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चौकी पर लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम दिशा में रहे.
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देवी लक्ष्मी, गणपति जी के दाहिनी ओर रहे.
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कलश को देवी के पास अक्षत पर रखें.
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नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि आगे का हिस्सा साफ दिखे. फिर इसे कलश पर रखें.
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अब दो बड़े दीपक रखें, एक में घी भरें व दूसरे में तेल.
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एक दीपक चौकी के दायीं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में.
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एक दीपक भगवान गणेश के पास रखें.
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मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं.
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कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियों को तीन लाइन में बनाएं.
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नवग्रह और सोलह मातृका के बीच में स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं.
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इसके बीच में सुपारी रखें और चारों कोनों पर अक्षत की ढेरी.
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सबसे ऊपर बीच में ऊँ लिखें.
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देवी लक्ष्मी की ओर श्री का चिन्ह बनाएं.
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गणेश जी की ओर त्रिशूल बनाए व चावल की ढेरी लगाएं जो ब्रह्मा जी का प्रतीक है.
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सबसे नीचे अक्षत की 9 ढेरियां बनाएं जो मातृका की प्रतीक है.
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इसके अतिरिक्त बहीखाता, कलम-दवात और सिक्कों की थैली रखें.
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