Agra: टेक्नोलॉजी के साथ प्रजापति समाज ने पकड़ी रफ्तार, इलेक्ट्रिक चाक से तैयार कर रहे दीपक, बढ़ा मुनाफा

हर साल दीपावली से पहले कुम्हार हाथों से चाक चलाते थे और मिट्टी के दीपक बनाते थे, लेकिन उसमें काफी समय लगता था. वहीं अब इन लोगों को सरकार की तरफ से इलेक्ट्रिक चाक और सांचा दिए गए हैं, जिसकी मदद से अब यह लोग कम समय में अधिक से अधिक दीपक बना लेते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | October 20, 2022 12:58 PM

Agra News: दीपावली से पहले तैयार होने वाले मिट्टी के दीपक बनाने में अब टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जा रहा है. हर साल दीपावली से पहले कुम्हार हाथों से चाक चलाते थे और मिट्टी के दीपक बनाते थे, लेकिन उसमें काफी समय लगता था. वहीं अब इन लोगों को सरकार की तरफ से इलेक्ट्रिक चाक और सांचा दिए गए हैं, जिसकी मदद से अब यह लोग कम समय में अधिक से अधिक दीपक बना लेते हैं.

प्रजापति समाज को मिला टेक्नोलॉजी का साथ

दीपावली आने से पहले भले ही लोग अपने घरों को इलेक्ट्रिक झालरों से और अन्य साजो सामान से सजाते हो. लेकिन अब भी दीपावली पर मिट्टी के दीपक का चलन समाप्त नहीं हुआ है. पहले लोग मिट्टी के साधारण दीपक जलाए करते थे, लेकिन जैसे-जैसे समय बदला अब दीपकों में भी अलग-अलग तरह की डिजाइन आने लगी हैं. वहीं, प्रजापति समाज दीपक बनाने में अब टेक्नोलॉजी का भी प्रयोग करने लगा है.

कम समय में ज्यादा काम, अधिक मुनाफा दे रहे इलेक्ट्रिक चाक

उत्तर प्रदेश सरकार के माटी कला बोर्ड ने प्रजापति समाज को काम में तेजी लाने और टेक्नोलॉजी का हिस्सा बनने के लिए इलेक्ट्रिक चाक प्रदान किए थे, जिसकी वजह से अब मिट्टी के दीपक बनाने वाले प्रजापति समाज के लोग कम समय में अधिक से अधिक दीपकों का निर्माण कर लेते हैं, और इसी की वजह से वह बड़े से बड़े ऑर्डर को जल्द पूरा कर लेते हैं और इससे अच्छा मुनाफा भी होता है.

बड़े से बड़े ऑर्डर को जल्द कर लेते हैं पूरा

आगरा के पंचकुइयां में रहने वाले और मिट्टी के दीपक बनाने वाले राम खिलाड़ी ने बताया कि, पिछले साल की अपेक्षा इस साल मिट्टी के दीपों की मांग अधिक है. जिसकी वजह से उनका पूरा परिवार दीपक बनाने में जुटा हुआ है. इस बार उनकी अच्छी बिक्री हो रही है. कई बड़े ऑर्डर भी मिले हैं. वहीं उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से दिए गए इलेक्ट्रिक चाक से वह बड़े से बड़े आर्डर को जल्द से जल्द पूरा करने में सार्थक हो रहे हैं.

उन्होंने कहा कि, पहले हमें काफी परेशानी झेलनी पड़ती थी. मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए चाक को हाथ से घुमाना पड़ता था और समय पर ज्यादा से ज्यादा दीपक भी नहीं बन पाते थे. लेकिन अब इलेक्ट्रिक चाक मिलने से कम समय में अत्यधिक उत्पादन बढ़ गया है. और अच्छा मुनाफा भी हो रहा है.

रिपोर्ट-राघवेन्द्र गहलोत, आगरा

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