41 माह के वेतन में मिले सिर्फ 15 हजार, 147 साल बाद बंद हुआ कानपुर लाल इमली में दिवाली पूजन

दिवाली के मौके पर उनको सोमवार को सेलरी एडवांस के तौर पर सिर्फ 15 हजार रुपये भुगतान किए गए. अबकी यह तीसरा मौका है जब कर्मचारियों को बकाया वेतन के बगैर ही दिवाली मनानी पड़ रही है. वही, लाल इमली में 1876 से कोषागार (खजाने) की पूजा होती आ रही है लेकिन 147 वर्षों में पहली बार दिवाली का पूजन यहां नहीं हुआ.

By Prabhat Khabar News Desk | October 25, 2022 3:17 PM

Kanpur Lal Imali Factory News: दीपावली में लाल इमली के कर्मचारियों को इंतजार था कि उनको 41 माह का बकाया वेतन और बोनस मिलेगा. दिवाली के मौके पर उनको सोमवार को सेलरी एडवांस के तौर पर सिर्फ 15 हजार रुपये भुगतान किए गए. अबकी यह तीसरा मौका है जब कर्मचारियों को बकाया वेतन के बगैर ही दिवाली मनानी पड़ रही है. वही, लाल इमली में 1876 से कोषागार (खजाने) की पूजा होती आ रही है लेकिन 147 वर्षों में पहली बार दिवाली का पूजन यहां नहीं हुआ.

147 वर्षों से हो रहा था दिवाली पूजन

बीते 147 वर्षों के इतिहास में पहली बार लाल इमली के खजाने में दिवाली का पूजन नहीं हुआ. लाल इमली की स्थापना से लेकर अब तक हर दिवाली पर गणेश लक्ष्मी जी का पूजन होता आया है. पूरे मामले में लाल इमली मजदूर संघ के अध्यक्ष अजय बताते हैं कि यह प्रबंधन की असफलता है. जिम्मेदारों पर कार्यवाही होनी चाहिये. प्रबंधन सनातनी परंपरा दिवाली पूजन बंद कराने का जिम्मेदार है. आगे अजय कहते हैं कि हमारा संगठन इसकी घोर निन्दा करता है. लाल इमली में धनाभाव होना एक अलग बात है लेकिन गणेश लक्ष्मी जी की पूजा न किया जाना, सनातन धर्म का अपमान किया जाना है. इसे हिंदू धर्म कभी माफ नहीं करेगा. इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी करेंगे.

चौखट के चक्कर के एवज में सिर्फ 15 हजार

लाल इमली के कर्मचारी और उनके संगठन के लोग कहते हैं कि उनकी सुनवाई तक नहीं हो रही है. अपनी बात को रखने के लिए वह सभी विधायक, सांसद और मंत्रालय तक गुहार लगा चुके हैं. सभी की चौखट के चक्कर लगा चुके हैं. लाल इमली के कर्मचारी बोनस की आस लगाए बैठे थे. कर्मचारी वेतन के अग्रिम भुगतान के रूप में सिर्फ 15 हजार रुपए ही दिए गये. इससे दीपावली का त्योहार मनाने को लाचार होना पड़ा है. लाल इमली कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अजय सिंह का कहना है कि मजदूर अब बहुत दुखी और परेशान है. उनके आगे अब सबसे बड़ी दिक्कत यह आ गई है घर चलाने की. उधार पैसे को 15000 से चुकाएं या बच्चों के साथ दीपावली मनाएं. हमारे संगठन में शासन से लेकर प्रशासन तक दरवाजे खटखटा आए हैं लेकिन दूर-दूर तक कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

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