Loading election data...

BHU: 10 हजार साल प्राचीन श्लोकों की खोज के लिए मिली डी.लिट, 85 वर्षीय शख्स को देखकर लोग हो गए भावुक…

डॉ. अमलधारी सिंह को 10 हजार साल प्राचीन श्लोकों की खोज के लिए बीएचयू में डिग्री दी गई है. डॉ. अमलधारी सिंह को छह महीने पहले आर्ट फैकल्टी में ही डी. लिट की उपाधि से नवाजा गया था. लेकिन, इस बार उन्हें दीक्षांत समारोह में आधिकारिक तौर पर सम्मानित किया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | December 12, 2022 4:17 PM

Lucknow: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के दीक्षांत समारोह में एक ऐसा पल आया, जिसे देखकर कार्यक्रम में मौजूद हर शख्स भावुक हो गया. कला संकाय की ओर से डी. लिट की डिग्री दी जा रही थी. इस दौरान 85 वर्षीय डॉ. अमलधारी सिंह के नाम की घोषणा छात्र के तौर पर की गई. इसके बाद खुद के लिखित ग्रंथों और पोथियों को सिर पर लादकर डॉ. अमलधारी मंच पर आए और घुटनों पर बैठकर डीन के हाथों डिग्री ली. ये दृश्य देखकर सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा और हर कोई भावुक हो गया.

10 हजार साल प्राचीन श्लोकों की है खोज

डॉ. अमलधारी सिंह को 10 हजार साल प्राचीन श्लोकों की खोज के लिए बीएचयू में डिग्री दी गई है. डॉ. अमलधारी सिंह को छह महीने पहले आर्ट फैकल्टी में ही डी. लिट की उपाधि से नवाजा गया था. लेकिन, इस बार उन्हें दीक्षांत समारोह में आधिकारिक तौर पर सम्मानित किया गया. उन्होंने ऋग्वेद की सबसे पुरानी और गुमनाम शाखा शांखायन की खोज की है. देखा जाए तो उन्होंने 10 हजार साल प्राचीन श्लोकों, सूक्तों और ऋचाओं को खोजा है. इसी विषय पर उन्होंने पूरी डी. लिट की है.

Bhu: 10 हजार साल प्राचीन श्लोकों की खोज के लिए मिली डी. लिट, 85 वर्षीय शख्स को देखकर लोग हो गए भावुक... 3
वैदिक संस्कृत ग्रंथ आम भाषा में करेंगे डिकोड

डॉ. अमलधारी सिंह ने बताया कि उन्होंने शांखायन शाखा के बारे में जानने के लिए एक छोटी सी किताब भी लिखी है. वहीं, वैदिक संस्कृत में लिखे हजारों पन्नों के इस पूरे ग्रंथ का अब आम आदमी की बोलचाल की भाषा में डिकोड करने वाले हैं. इससे पहले उन्होंने संस्कृत में अनुवाद कर लिया है. उन्होंने बताया कि इस शाखा में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, व्यापार और समाज के बारे में बड़ी रहस्मयी जानकारियां दी गईं हैं. एक श्लोक में तो यह भी लिखा गया है कि कैसे एक युवा खुद को बरसों तक जवान बनाए रख सकता है.

1969 में प्रकाशित हुई थी पहली पुस्तक

डॉ. अमलधारी सिंह इससे पहले भारतीय सेना में रह चुके हैं. वहां से रिटायर्ड होने के बाद उन्होंने स्कूल में पढ़ाना शुरू किया. डॉ. अमलधारी सिंह की पहली पुस्तक योग सूत्र 1969 में प्रकाशित हुई. इसके बाद सांख्य दर्शन, कालीदास, अंग्रेजी, हिंदी और संस्कृत का प्रकाशन हुआ.

Bhu: 10 हजार साल प्राचीन श्लोकों की खोज के लिए मिली डी. लिट, 85 वर्षीय शख्स को देखकर लोग हो गए भावुक... 4
Also Read: UP Nikay Chunav: नगर निगम वाले शहरों में सीएम योगी करेंगे जनसभाएं, भाजपा ने बनायी ये रणनीति 1966 में की पीएचडी

डॉ. अमलधारी सिंह का जन्म जौनपुर के केराकत स्थित कोहारी गांव में 22 जुलाई, 1938 को हुआ था. उन्होंने प्रयागराज से स्नातक किया. इसके बाद बीएचयू से 1962 में एमए और 1966 में पीएचडी की. वहीं यहीं से एनसीसी के वारंट ऑफिसर और ट्रेनिंग अफसर से लेकर आर्मी का सफर पूरा किया. चीन युद्ध के बाद उन्हें 13 जनवरी 1963 में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के हाथों बेस्ट ट्रेनर का अवार्ड मिला था.

Next Article

Exit mobile version