Aligarh News: अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को खून से लिखा ज्ञापन भेजा है, जिसमें जुमे की नमाज में इकट्ठी होने वाली भीड़ पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है. जुमे की नमाज को महासभा ने आतंकवाद का पर्याय माना है.
महासभा की राष्ट्रीय सचिव और महामंडलेश्वर डॉ पूजा शकुन पाण्डेय ने खून से पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने मांग की है कि भारत में जुमे के दिन नमाज में इबादत के नाम पर जो भीड़ इकट्ठी होती है, उस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति के लिए भेजा गया, जिसे एसीएम प्रथम ने प्राप्त किया.
शकुन पाण्डेय ने पत्र में लिखा कि जुम्मा देश में आतंक का पर्याय बन गया है. जुमे की नमाज के दिन उपद्रव और हिंसा हुई हैं. भारत के इतिहास में अब तक हिंदुओं के जितने भी कत्लेआम हुए हैं, लगभग सभी जुमे की नमाज के बाद हुए.
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16 अगस्त 1946 को मुस्लिम लीग के नेता सोहरवर्गी ने जुमे की नमाज के बाद हिंदुओं के कत्लेआम की घोषणा की.
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भारत में डायरेक्ट एक्शन के नाम पर 11 अक्टूबर सन 1946 को जुमे की नमाज के बाद नोआखाली में 50,000 से ज्यादा हिंदुओं का कत्लेआम
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25 अक्टूबर सन 1946 जुमे की नमाज के बाद बिहार के मुंगेर सहित दर्जनों इलाकों में 10,000 से ज्यादा हिंदू मारे गए
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25 अक्टूबर 1989 को जुमे की नमाज के बाद आजाद भारत का सबसे बड़ा कत्लेआम हुआ भागलपुर बिहार में, जहां 10,000 से ज्यादा हिंदू मारे गए
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19 जनवरी 1990 जुम्मे की नमाज के बाद कश्मीर में हिंदुओं का कत्लेआम चालू हुआ, पांच लाख से अधिक हिंदुओं का पलायन हुआ
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2 मई सन 2003 केरल के काशीपुर में जुमे की नमाज के बाद हिंदुओं पर हमला किया गया सैकड़ों दुकानें जलाई गई दर्जनों हिंदुओं की हत्या हुई
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7 सितंबर 2012 जुमे की नमाज के बाद मुंबई के आजाद मैदान में उपद्रव हुआ, कई पुलिसवाले घायल हुए, कई हिंदुओं की दुकानें, मकान , गाड़ियां फूंक दी गईं
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2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगे में भी 7 सितंबर को जुमे की नमाज के बाद हिंदुओं का कत्लेआम की घोषणा हुई और महापंचायत से लौट रहे हिंदुओं का बेरहमी से कत्ल हुआ सैकड़ों की संख्या में लोग मारे गए
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11 अप्रैल 2017 को अलीगढ़ में जुमे की नमाज के बाद उपद्रव हुआ सीईओ विशाल पाण्डेय सहित कई पुलिसवाले घायल हुए
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जुमे की नमाज के बाद 3 जून को कानपुर में उपद्रव हुआ, हिंदुओं की दुकान मकान लूटे गए
रिपोर्ट- चमन शर्मा