चाइल्ड होम के बच्चे को अपने साथ ले जा रहे थे विदेशी दंपति, बचपन में अलग हुए बड़े भाई ने लास्ट टाइम में…
आगरा के राजकीय शिशु गृह में रहने वाले एक बच्चे को जब विदेशी दंपति ने गोद लेना चाहा तो एक दूसरे युवक ने उसे अपना छोटा भाई बताया और ले जाने से रोक लिया. युवक का कहना है कि उसके छोटे भाई को उसे सुपुर्द कर दिया जाए, क्योंकि वह उसकी देखरेख करने में पूर्ण रूप से सक्षम है.
Agra News: ताजनगरी में दो भाइयों की एक अजब कहानी सामने आई है. राजकीय शिशु गृह में रहने वाले एक बच्चे को जब विदेशी दंपति ने गोद लेना चाहा तो एक दूसरे युवक ने उसे अपना छोटा भाई होने का दावा कर दिया. युवक का कहना है कि उसके छोटे भाई को उसे सुपुर्द कर दिया जाए, क्योंकि वह उसकी देखरेख करने में पूर्ण रूप से सक्षम है. वहीं युवक ने एक सामाजिक कार्यकर्ता की मदद से परिवार न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया है. जिसके बाद अदालत ने राजकीय शिशु गृह के अधिकारियों को बच्चे के साथ 23 जुलाई को प्रस्तुत होने के आदेश दिए हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता एवं कोशिश फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष नरेश पारस के अनुसार, वर्ष 2012 में चाइल्डलाइन को 2 वर्षीय बालक के लावारिस हालत में मिलने का पता चला. जिसके बाद नरेश पारस ने बच्चे को बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया. समिति ने बच्चे को राजकीय शिशु ग्रह भेजने के आदेश दे दिए. इसके बाद वर्ष 2008 में ही 8 वर्षीय एक अन्य बालक को भी शिशु ग्रह में दाखिल किया गया था. जब वह 10 साल का हो गया तो उसे फिरोजाबाद के राजकीय बाल गृह में भेज दिया गया.
नरेश पारस ने बताया कि युवक की उम्र 18 साल की होने पर उसे लखनऊ भेज दिया गया था. वहां से उसे एक सामाजिक संस्था अपने साथ बेंगलुरु ले गई और वहां उसे व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण के बाद युवक अब बेंगलुरु की एक कंपनी में काम कर रहा है.
बेंगलुरु में काम करने वाले बालक को पता चला के जिसे मैं अपना छोटा भाई मान रह हूं. उसे एक विदेशी दंपति अपने साथ ले जा रही है. इसके बाद उसने फिरोजाबाद की बाल कल्याण समिति एवं डीएम को प्रार्थना पत्र दिया. जिसमें उसने दावा किया कि वह बच्चा उसका छोटा भाई है. नरेश पारस ने बताया कि युवक का कहना है कि वह उसका सगा बड़ा भाई है. वह अपना डीएनए कराने को भी तैयार है और अब उस बच्चे को अपनी सुपुर्दगी में लेना चाहता है. उन्होंने बताया कि युवक की तरफ से परिवार न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया गया है जिस पर अदालत ने 23 जुलाई को सुनवाई तय की है.
नरेश पारस ने बताया कि जो युवक उस बच्चे को अपना छोटा भाई बता रहा है. उसका कहना है कि यह दोनों भाई आगरा किले के पास झुग्गी झोपड़ी में रहते थे. परिवार के साथ भीख मांग कर गुजारा कर रहे थे. एक दिन छोटा भाई मां के साथ फोर्ट रेलवे स्टेशन पर भीख मांग रहा था. तो चाइल्डलाइन वालों ने उसे राजकीय शिशु गृह में दाखिल कर दिया. वह भाई को खोजते हुए चाइल्डलाइन कार्यालय पहुंचा तो उसे भी शिशु गृह भेज दिया गया. वहीं पर उसने अपने भाई को पहचान लिया और दोनों आपस में बातचीत करने लगे.
रिपोर्ट- राघवेंद्र गहलोत