Lucknow News: अर्थशास्त्रियों और चिकित्सकों के साथ जन स्वास्थ्य समूह ने सरकार से अपील की है कि अतिरिक्त राजस्व प्राप्त करने के लिए 2023-24 के केंद्रीय बजट में तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया जाए. वित्त मंत्रालय से अपनी अपील में इन लोगों ने सिगरेट, बीड़ी और धुआं रहित तंबाकू पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने का आग्रह किया है.
स्वास्थ्य समूह के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा राजस्व बढ़ाने की तत्कालिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए सभी तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क बढ़ाना प्रभावी नीतिगत उपाय हो सकता है. राजस्व पैदा करने के साथ तंबाकू के उपयोग और इससे होने वाली बीमारियों को कम करने के लिए यह एक कामयाब प्रस्ताव होगा.
शोध में पाया गया है कि पिछले 10 वर्षों में सिगरेट, बीड़ी और धुंआ रहित तंबाकू की कीमत कम बढ़ी है और इन्हें खरीदना लगातार आसान होता गया हैं. जुलाई 2017 में जीएसटी की शुरुआत के बाद से तंबाकू करों में कोई बड़ी वृद्धि नहीं हुई है. इस समय जीएसटी दर, मुआवजा उपकर, एनसीसीडी और केंद्रीय उत्पाद शुल्क को जोड़कर, टोटल कर बोझ (खुदरा मूल्य समेत अंतिम कर के प्रतिशत के रूप में कर) सिगरेट के लिए लगभग 52.7%, बीड़ी के लिए 22% और धुआं रहित तंबाकू के लिए 63.8% है. डब्ल्यूएचओ सभी तंबाकू उत्पादों के लिए खुदरा मूल्य के कम से कम 75% कर के बोझ की सिफारिश करता है. सभी तंबाकू उत्पादों पर मौजूदा टैक्स का बोझ इससे कहीं कम है.
स्वास्थ्य पर संसद की स्थायी समिति ने हाल ही में कैंसर देखभाल योजना और प्रबंधन पर एक प्रासंगिक व व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत की. जिसमें बताया गया कि भारत में सबसे अधिक जान तंबाकू के कारण होने वाले मुंह के कैंसर से गई. इसके बाद फेफड़ों और पेट का कैंसर है. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि तंबाकू उत्पादों की कीमतें सबसे कम हैं और तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने की आवश्यकता है.
भारत में दुनिया में तंबाकू सेवन करने वालों की संख्या दूसरी सबसे बड़ी (268 मिलियन) है. इनमें से 13 लाख हर साल तंबाकू से मरते हैं. भारत में लगभग 27% कैंसर तंबाकू के कारण होते हैं.