भूख से बिलबिला रहा था पूरा परिवार, 10 दिनों से नहीं मिला था खाना, जानिए क्यों महिला और उसके 5 बच्चों की हो गई ऐसी हालत
कोरोना, लॉकडाउन, कामकाज बंद, भूख की बेबसी और इसका दर्द क्या होता है ये देखना है तो यूपी के अलीगढ़ के इस परिवार का हाल जान लीजिए. अलीगढ़ में एक महिला और उसके 5 बच्चे बीते दो महीनों से दाने दाने को तरस रहे हैं. बीते एक हफ्ते से भी ज्यादा समय से रोटी का एक टुकड़ा भी किसी ने नहीं खाया है.
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10 दिनों से भूख से बिलबिला रहा था पूरा परिवार
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नहीं मिला था रोटी का एक टुकड़ा
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हालत बिगड़ने के बाद सभी अस्पताल में भर्ती
कोरोना, लॉकडाउन, कामकाज बंद, भूख की बेबसी और इसका दर्द क्या होता है ये देखना है तो यूपी के अलीगढ़ के इस परिवार का हाल जान लीजिए. अलीगढ़ में एक महिला और उसके 5 बच्चे बीते दो महीनों से दाने दाने को तरस रहे हैं. बीते एक हफ्ते से भी ज्यादा समय से रोटी का एक टुकड़ा भी किसी ने नहीं खाया है. कई दिन भूखे रहने के कारण पूरा परिवार कमजोर और बीमार हो गया है. अब अस्पताल में सभी भर्ती हैं.
गरीबी देखकर आस पास के लोगों ने अगर 4-5 रोटियां दे दी तो परिवार के लोग उसी को खाकर और पानी पीकर किसी तरह गुजारा कर रहे थे. लेकिन, बीते 10 दिनों से तो वो भी नसीब नहीं हुआ था. इस कारण पूरे परिवार के सदस्यों की तबियत खराब हो गई. जिसके बाद पूरे परिवार को मलखान सिंह जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है. वहीं, कई एनजीओ ने भी मदद का हाथ बढ़ाया है.
2020 में टूटा था दुखों का पहाड़ः इस परिवार पर दुखों का पहाड़ 2020 में ही टूटना शुरू हो गया था. जब महिला के पति विनोद की गंभीर बीमारी से मौत हो गई थी. पति की मौत के बाद गुड्डी ने परिवार की जिम्मेदारी संभाल ली. उसने एक फैक्टरी में काम करना शुरू कर दिया. लेकिन घाटे के कारण फैक्टरी बंद हो गया जिसके बाद से ही गुड्डी बेरोजगार है. वहीं, लॉकडाउन के कारण उसे कहीं काम भी नहीं मिला.
गांव के लोगों का आरोप नहीं आते ग्राम पंचायत सचिवः वहीं, भूख से बिलखते परिवार की खबर जब मीडिया में आई तो सरकारी अधिकारी और पंचायत सचिव की आंखे खुली. और पीड़ित परिवार के लिए अन्त्योदय कार्ड बनवाने का कवायद हो रही है. वहीं, इस मामले में ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत सचिव हालात का जायजा लेने कभी नहीं आते. अगर उन्होंने जागरूकता दिखाई होती तो आज परिवार की हालत ऐसी नहीं होती.
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Posted by: Pritish Sahay