किसानों को उपज का मिलेगा पूरा लाभ, बढ़ेंगे रोजगार के अवसर, सरकार को भी मिलेगा राजस्व
उत्तर प्रदेश में वाइन उत्पादक इकाईयों की स्थापना के सम्बन्ध में श्री संजय आर भूसरेड्डी, अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गन्ना संस्थान, लखनऊ में बैठक सम्पन्न हुई. प्रदेश की वर्तमान सरकार ने किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है.
उत्तर प्रदेश में वाइन उत्पादक इकाईयों की स्थापना के सम्बन्ध में श्री संजय आर भूसरेड्डी, अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गन्ना संस्थान, लखनऊ में बैठक सम्पन्न हुई, जिसमें आबकारी आयुक्त्, उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त अपर आबकारी आयुक्त (प्रशासन), संयुक्त निदेशक (सांख्यिकी) एवं उप आबकारी आयुक्त लाइसेंसिंग, प्रयागराज द्वारा प्रतिभाग किया गया.बैठक में आल इण्डिया वाइन प्रोड्यूशर एसोसिएशन के अध्यक्ष सहित विभिन्न प्रदेशों की वाइन उत्पादक इकाईयों मेसर्स इण्डो स्प्रिट, गाडसन आर्गेनिक्स फार्म, बरेली, मेसर्स गुड ड्राप सेलर, मेसर्स सुला विनियार्ड के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया.
सर्वप्रथम अपर मुख्य सचिव, आबकारी श्री संजय आर0 भूसरेड्डी द्वारा बैठक में अन्य प्रदेशों से आये हुए प्रतिनिधियों को वर्ष 2021-22 की आबकारी नीति में वाइन उत्पादक इकाईयों की स्थापना एवं प्रोत्साहन के लिये बनाये गये प्राविधानों से अवगत कराया गया.उनके द्वारा अवगत कराया गया कि प्रदेश में सब-ट्रापिकल फलों जैसे- आम, जामुन, कटहल, अमरूद, अंगूर, लींची, आंवला, पपीता आदि का अत्यधिक उत्पादन होता है, जिसकी खपत पूरी तरह से नहीं हो पाती है, साथ ही फलों के समुचित भण्डारण की सुविधा के अभाव में रख-रखाव न हो पाने से भारी मात्रा में फल शीघ्र खराब होते रहते हैं, जिससे इनका उत्पादन करने वाले किसानों को अत्यधिक नुकसान उठाना पड़ता है, साथ ही उन्हें अपनी उपज का समुचित लाभ भी नहीं मिल पाता है.
प्रदेश की वर्तमान सरकार ने किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है, जिसको प्राप्त करने के लिये शासन द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से नगदी फसलों के उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है, जिसमें मुख्यत: फलों एवं सब्जी की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है.इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु शासन ने किसानों द्वारा उत्पादित किये जा रहे विभिन्न प्रकार के फलों को प्रसंस्कृत कर उन्हें उचित मूल्य एवं लाभ दिलाये जाने के तहत वाइनरी की स्थापना किये जाने का निर्णय लिया गया है.
अपर मुख्य सचिव, आबकारी द्वारा यह भी बताया गया कि वाइनरी स्थापित किये जाने सम्बन्धी नियमावली 1961 एवं पुन: वर्ष 2001 में प्रख्यापित की जा चुकी है, लेकिन उत्तर प्रदेश में अभी तक एक भी वाइनरी इकाई की स्थापना नहीं हो पाई है, जबकि महाराष्ट्र प्रदेश में नासिक एवं पूणे में कई वाइनरी इकाइयों की स्थापना की जा चुकी है और वहॉं के फल उत्पादक किसानों से वाइनरी इकाईयॉं फलों को उचित मूल्य पर खरीद कर उच्च कोटि की वाइन का निर्माण कर रहे हैं, साथ ही किसानों को भी उचित मूल प्राप्त हो रहा है, जो वहॉं के किसानों की आय को बढ़ाने में भी काफी मददगार साबित हो रहा है.
इसको देखते हुए वर्तमान में प्रदेश सरकार ने भी फल उत्पादक किसानों की उपज का सदुपयोग एवं उनकी आय बढ़ाने के लिय वाइनरी की स्थापना किये जाने का निर्णय लिया गया.वाइनरी की स्थापना से जहॉं एक ओर वाइन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, वहीं दूसरी ओर किसानों की उपज का उचित मूल्य उन्हें प्राप्त हो सकेगा.इससे उद्योगों की स्थापना से प्रदेश में नये रोजगार के नये अवसर भी बढ़ेगे और सरकार को वाइन की बिक्री से राजस्व भी प्राप्त हो सकेगा.
इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिये आबकारी नीति 2021-22 में वाइन उद्योग को बढ़ावा देने के लिये कतिपय प्राविधान किये गये है.उनके द्वारा यह भी बताया गया कि वाइनरी स्थापना एवं उन्हें बाजार में उपलब्ध कराये जाने के लिये निवेशकों को अनेक सुविधायें भी अनुमन्य की गयी है, जिससे निवेशक प्रदेश में वाइनरी उद्योग लगाये जाने के लिए आकर्षित होंगे.
श्री सेंथिल पांडियन सी., आबकारी आयुक्त द्वारा बताया गया कि प्रदेश सरकार की ”एक जनपद-एक उत्पाद” के महत्वाकांक्षी योजना के अन्तर्गत ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित करते हुए जहॉं फलों का उत्पादन अधिक मात्रा में होता है और उसका सदुपयोग पूरी तरह से नहीं हो पाता, ऐसी जगहों पर भी बाइनरीज स्थापित किये जा सकेंगे.
बैठक में प्रदेश के बाहर से आये हुए विभिन्न वाइन उत्पादक इकाईयों के प्रतिभाग कर रहे प्रतिनिधियों ने भी उत्तर प्रदेश में वाइन उद्योग में निवेश किये जाने के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त किये.गार्डन आर्गेनिक फार्म बरेली के प्रतिनिधि श्री अनिल साहनी द्वारा यह बताया गया कि प्रदेश में बहुतायत मात्रा में सब-ट्रापिकल फल जैसे आम, जामुन, पीच आदि का उत्पादन होता है.इन मौसमी फलों के भण्डारण की समुचित व्यवस्था न होने के कारण भारी मात्रा में ये फल खराब हो जाते हैं, जिनका प्रयोग भी वाइनरी की स्थापना कर अच्छी किस्म की वाइन तैयार करने में भली प्रकार से किया जा सकता है.उन्होंने यह भी बताया कि वाइन उत्पादन में फलों के उपयोग से जहॉं फलों के उत्पादन में बढ़ोत्तरी होने के साथ-साथ खराब हो रहे फलों को भी समुचित सदुपयोग किया जा सकेगा, साथ ही किसानों के आय में भी बढ़ोत्तरी होने से उनके जीवन स्तर को सुधार करने में मदद मिल सकेगी.
आल इण्डिया वाइन प्रोड्यूसर एसोसिएशन के अध्यक्ष जगदीश होलकर द्वारा महाराष्ट्र के नासिक व आस-पास के क्षेत्र में उत्पादित हो रहे अंगूर से वाइन बनाये जाने की विण्टनरी इकाईयों के स्थापित किये जाने के सम्बन्ध में अवगत कराया गया.उनके द्वारा यह बताया गया कि नासिक व आस-पास के क्षेत्रों में विभिन्न ब्राण्डों की उच्च गुणवत्ता वाली वाइन तैयार की जा रही है तथा महाराष्ट्र सरकार द्वारा इस प्रकार के उद्यमियों एवं निवेशकों को राज्य सरकार द्वारा दी जा रही रियायतों के बारे में भी जानकारी दी गयी.
श्री जगदीश होलकर द्वारा आश्वासन दिया गया कि वे उत्तर प्रदेश में वाइनरी स्थापित किये जाने में आगे आने वाले उद्यमियों को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं से उन्हें अवगत करायेंगे.उनके द्वारा नासिक में वाइन निर्माण प्रक्रिया को समझने के लिये फल उत्पादक किसानों एवं आबकारी अधिकारियों की एक टीम भेजकर अध्ययन कराये जाने का भी अनुरोध किया गया.संजीव पैठन्कर द्वारा महाराष्ट्र में वाइन की बिक्री एवं उपभोग के सम्बन्ध में वहॉं की कार्य प्रणाली से अवगत कराया गया तथा उत्तर प्रदेश में वाइन उद्योग को प्रोत्साहित किये जाने के सम्बन्ध में अनेक सुझाव दिये गये.
बैठक में अपर मुख्य सचिव, आबकारी उत्तर प्रदेश द्वारा वाइन उत्पादक इकाईयों के प्रतिनिधियों को प्रदेश में वाइन उद्योग में इच्छुक निवेशकों को शासन की ओर से सुविधायें प्रदान किये जाने का आश्वासन दिया गया .