किसान के बेटे अनुराग तिवारी को मिला कार्नेल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने का ऑफर, जहां के पूर्व छात्र हैं रतन टाटा और विकास खन्ना
पूर्वी उत्तर प्रदेश का सरसन गांव. आपने अभी तक शायद इस गांव का नाम सुना भी नहीं होगा और भला सुने भी कैसे होंगे, जब यह अभी तक सुर्खियों में नहीं आया है. इसे अब आपको अपने मानस पटल पर उकेर लेना चाहिए, क्योंकि यह वही गांव है, जहां 18 साल के अनुराग तिवारी रहते हैं. अब आप कहेंगे कि ये अनुराग तिवारी कौन हैं और इनमें ऐसा क्या खास है? ...तो, आपको हम बता देते हैं कि ये अनुराग तिवारी वही हैं, जो एक दूरस्थ गांव में रहते हैं. आर्थिक तौर पर कमजोर पृष्ठभूमि के होने के बावजूद अब वे 100 फीसदी छात्रवृत्ति के जरिए अमेरिका के प्रसिद्ध कार्नेल विश्वविद्यालय में इकोनॉमिक्स में अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम की पढ़ाई करेंगे. उन्हें अमेरिका के आईवी लीग संस्थानों में शामिल कार्नेल विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने का ऑफर मिला है. देश के सुप्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा, शेफ विकास खन्ना और रोहन मूर्ति भी इसी कार्नेल विश्वविद्यालय के छात्र हैं.
पूर्वी उत्तर प्रदेश का सरसन गांव. आपने अभी तक शायद इस गांव का नाम सुना भी नहीं होगा और भला सुने भी कैसे होंगे, जब यह अभी तक सुर्खियों में नहीं आया है. इसे अब आपको अपने मानस पटल पर उकेर लेना चाहिए, क्योंकि यह वही गांव है, जहां 18 साल के अनुराग तिवारी रहते हैं. अब आप कहेंगे कि ये अनुराग तिवारी कौन हैं और इनमें ऐसा क्या खास है? …तो, आपको हम बता देते हैं कि ये अनुराग तिवारी वही हैं, जो एक दूरस्थ गांव में रहते हैं. आर्थिक तौर पर कमजोर पृष्ठभूमि के होने के बावजूद अब वे 100 फीसदी छात्रवृत्ति के जरिए अमेरिका के प्रसिद्ध कार्नेल विश्वविद्यालय में इकोनॉमिक्स में अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम की पढ़ाई करेंगे. उन्हें अमेरिका के आईवी लीग संस्थानों में शामिल कार्नेल विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने का ऑफर मिला है. देश के सुप्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा, शेफ विकास खन्ना और रोहन मूर्ति भी इसी कार्नेल विश्वविद्यालय के छात्र हैं.
कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच हुआ अनुराग का चयन
बता दें कि अमेरिका के जिस आईवी लीग संस्थानों के आठ विश्वविद्यालयों में से एक कार्नेल विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने के लिए अनुराग तिवारी को ऑफर मिला है, उस विश्वविद्यालय से पढ़ाई करना तिवारी जैसे आर्थिक रूप से पिछड़े छात्र के लिए किसी सपने से कम नहीं है. वर्ष 2019 के आंकड़ों के अनुसार, आईवी लीग संस्थान में स्वीकृति दर केवल 10.6 फीसदी थी. वर्ष 2019 में इस विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने की इच्छा रखने वाले 49,000 से अधिक आवेदकों में से केवल 5,183 उम्मीदवारों को कॉर्नेल में विभिन्न कार्यक्रमों में दाखिले के लिए चुना गया था. इस लिहाज से देखेंगे, तो यह अनुराग तिवारी के परिवार के साथ ही पूरे गांव के लिए जश्न का माहौल है और तिवारी किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं है.
12वीं 98.2 फीसदी अंक किए हासिल
पिछली 13 जुलाई को सीबीएसई के परिणाम घोषित किए गए थे. विद्याज्ञान सीतापुर में ह्यूमनिटीज स्ट्रीम के छात्र तिवारी ने सीबीएसई की 12वीं क्लास की परीक्षा में 98.2 फीसदी अंक हासिल की है. तिवारी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि कॉर्नेल यूनिवर्सिटी उनकी पहली पसंद थी. अनुराग तिवारी की कॉर्नेल विश्वविद्यायल में 1 सितंबर से ऑनलाइन क्लास शुरू होगी. अमेरिका की ज्यादातर विश्वविद्यालयों में कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से ऑनलाइन क्लास चल रही है.
हर सब्जेक्ट में 90 से ऊपर हैं अंक
अनुराग ह्यूमनिटीज की पढ़ाई कर रहे थे. उनको अर्थशास्त्र और इतिहास में पूरे 100, राजनीति शास्त्र में 99, अंग्रेजी में 97 और गणित में 95 नंबर हासिल हुए हैं. अनुराग कॉर्नेल में इकोनॉमिक्स और गणित की पढ़ाई करेंगे. मीडिया से उन्होंने कहा कि ह्यूमनिटीज की पढ़ाई के मेरे फैसले पर कई लोगों ने सवाल उठाया. उनका कहना था कि लड़कों के लिए यह सही नहीं है.
पिता किसान और मां हैं गृहिणी
दरअसल, अनुराग के पिता कमलापति तिवारी किसान हैं और मां संगीता तिवारी गृहिणी हैं. अनुराग ने लखिमपुर शहर से 60 किलोमीटर दूर स्थित अपने गांव सरसन के एक प्राथमिक स्कूल से 5वीं तक पढ़ाई की थी. उन्होंने छठी क्लास में विद्याज्ञान की प्रवेश परीक्षा पास करके पहली कामयाबी हासिल की. विद्याज्ञान सीतापुर स्थित एक ग्रामीण अकादमी है, जिसमें उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक रूप से वंचित लेकिन प्रतिभाशाली छात्रों को चुना जाता है. उन्होंने कहा कि मेरे शिक्षक ने विद्याज्ञान के लिए फॉर्म भरा और मुझे बताया कि यह संस्थान उत्तर प्रदेश में वंचित पृष्ठभूमि के लोगों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करता है और वह शायद सबसे अच्छा निर्णय था.
एचएसीएल टेक के शिव नाडर की संस्था ने दिखाया रास्ता
विद्याज्ञान एचसीएल टेक्नोलॉजीज के संस्थापक और परोपकारी शिव नाडर द्वारा स्थापित शिव नाडर फाउंडेशन की एक पहल है, जिसकी स्थापना 2009 में आर्थिक रूप से कमजोर ग्रामीण पृष्ठभूमि से मेधावी छात्रों गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की गयी थी. यह उन छात्रों के लिए उपलब्ध है, जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय प्रति वर्ष 1 लाख रुपये से कम है और यह उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों को कवर करती है. विद्याज्ञान हर साल 250,000 आवेदकों में से 200 छात्रों को अपने बुलंदशहर और सीतापुर परिसरों में छठी कक्षा में शामिल करता है. तिवारी उनमें से एक थे, जब वह जुलाई 2013 में सीतापुर परिसर में उनका दाखिला हुआ था. उनका कहना है कि एक बार पढ़ाई शुरू होने के बाद उन्होंने महसूस किया कि उनके अपने स्कूल में क्या गायब था? उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि मुझे यह अवसर मिला है क्योंकि शिक्षण और मार्गदर्शन की गुणवत्ता, सलाह मेरे पुराने स्कूल की तुलना में अधिक है.
रिजल्ट ने सेलिब्रिटी बनाया
उन्होंने बताया कि पूरे गांव को उनके परिणाम ने रोमांचित कर दिया है और खासकर तब से जब वे उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने वाले क्षेत्र के पहले व्यक्ति होंगे. मुझे खुशी है कि मैं उचित शिक्षा प्राप्त कर सका, क्योंकि यह बहुत मायने रखता है, वह भी तब जब खुद में कौशल विकसित करने में मदद करने, आत्म निर्भर बनाने के लिए और यहां तक कि विदेशों में संस्थानों में आवेदन करने के लिए प्रेरित किया जाए.
किस-किस ने दिया साथ?
जब अनुराग 11वीं क्लास में थे, तब से ही सैट की तैयारी शुरू कर दी. उनको सैट में 1600 में से 1370 मार्क्स मिले हैं. उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में ‘अर्ली डिसिजन ऐप्लिकेंट’ के तौर पर आवेदन किया और पिछले साल दिसंबर में कॉर्नेल से उनको कॉल आ गयी. उन्होंने अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने स्कूली शिक्षकों को दिया है. उन्होंने बताया कि शिक्षकों ने उनको अनुबंध का ड्राफ्ट लिखने और प्रोजेक्ट तैयार करने में मदद की.
भविष्य की ऐसे रखी गयी नींव
अनुराग तिवारी कॉर्नेल में अपने स्नातक कार्यक्रम के भाग के रूप में अर्थशास्त्र और गणित का अध्ययन करेंगे. आईवी लीग स्कूल उनकी एकमात्र पसंद थी और उन्हें इस बता की खुशी है. कॉर्नेल में यह केवल आपका अकादमिक प्रदर्शन ही नहीं है, जो मायने रखता है. संस्थान अपनी वेबसाइट पर कहता है कि सीखने के लिए जुनून, अतिरिक्त पाठ्यचर्या संबंधी गतिविधियां, सामुदायिक भागीदारी और आवेदन निबंध समान महत्व रखता है. कॉर्नेल विश्वविद्यालय के लिए क्या मायने रखता है कि कैसे एक उम्मीदवार संस्थान में सीखने के माहौल का लाभ उठाएगा और समाज को वापस देगा. तिवारी ने विद्याज्ञान में कैरियर काउंसलर्स के साथ चर्चा के बाद कॉर्नेल पर फैसला किया. कॉर्नेल विश्वविद्यालय अपने अर्थशास्त्र कार्यक्रम के लिए जाना जाता है और भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् टीसीए अनंत, अर्थशास्त्र के विजेता रॉबर्ट एफ एंगल को इसके पूर्व छात्र के रूप में गिना जाता है. तिवारी उन छात्रों में भी शामिल होंगे, जिन्हें विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु पढ़ाते थे, जो अब कॉर्नेल विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं.
Posted By : Vishwat Sen