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Gorakhpur: खाद के लिए कुछ दिन और किसानों को करना पड़ेगा इंतजार, 23 नवंबर को इफको की एक रैक आने की उम्मीद

Gorakhpur News: गोरखपुर में किसानों की परेशानी अभी कुछ दिनों तक बनी रहने वाली है. डीएपी (डाई अमोनियम फास्फेट) की किल्लत अभी दो ,तीन दिनों तक बनी रहेगी. 23 नवंबर की शाम को इफको की एक रैक आने की उम्मीद है. जिसके बाद सहकारी समितियों पर डीएपी की उपलब्धता सुनिश्चित हो पाएगी.

Gorakhpur News:  गोरखपुर में किसानों की परेशानी अभी कुछ दिनों तक बनी रहने वाली है. डीएपी (डाई अमोनियम फास्फेट) की किल्लत अभी दो ,तीन दिनों तक बनी रहेगी. 23 नवंबर की शाम को इफको की एक रैक आने की उम्मीद है. जिसके बाद सहकारी समितियों पर डीएपी की उपलब्धता सुनिश्चित हो पाएगी.

ठंड की शुरुआत से ही किसान रवि की फसलों की बुआई को लेकर तैयारी में जुट जाते हैं अब किसान खेतों को जोत चुके हैं. बस खेतों की बुआई करनी है. लेकिन खाद की कमी की वजह से किसान काफी परेशान है. मजबूरी में उन्हें प्राइवेट दुकानों से 1600 से 1700 रुपये में खाद को खरीदना पड़ रहा है जबकि सहकारी समितियों पर यह खाद 1350 रुपये में मिल रहा है. ऐसे में किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है.

गोरखपुर जिले में 5 से 6 दिनों में सहकारी समितियों के लिए इफको की एक रैक जबकि डीएपी और निजी दुकानों के लिए अलग-अलग कंपनियों की 4 डीएपी पहुंचने वाली है. कृषि विभाग के अनुसार इफको कंपनी की एक रैक 19 तारीख को ही निकल चुकी है जो 23 नवंबर को शाम तक जिले में पहुंच जाने की संभावना है. वहीं 20 नवंबर को दूसरी रैक निजी दुकानदारों के लिए रवाना हुई है. 22 नवंबर को आईपीएल की एक और रैक चलेगी जो 25 नवंबर को पहुंचने की संभावना है.

पिछले कुछ दिनों से जिले में संचालित साधन सहकारी समितियों पर डीएपी उपलब्ध नहीं है. जबकि गोरखपुर जिले में 107 साधन डीएपी चलते हैं. सभी पर ताले लटके हुए हैं. वही ऑनलाइन 2129 मीट्रिक टन डीएपी जिले की समितियों पर उपलब्ध दिखाया जा रहा है. इसमें महज 627 मीट्रिक टन 10 सहकारी समितियों पर दिखा रहा है शेष प्राइवेट दुकानों  पर उपलब्ध है.

दरअसल सचिव ने डीएपी बात तो दी पर ऑनलाइन डाटा नहीं भरा इस कारण पुराना डाटा दिख रहा है. और अधिकारी इस धोखा में हैं कि उनके जिले में समितियों पर पर्याप्त डीएपी है. समितियों के सचिवों व कृषि विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण बाहर से आने वाली रैक नहीं आ पा रही है. कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा डीएवी के वितरण के बाद सचिवों को ऑनलाइन डाटा भरना होता है जिसमें उपलब्धता ,वितरण आदि होता है.

रिपोर्टर –कुमार प्रदीप, गोरखपुर

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