Fatehpur News: फतेहपुर में सामूहिक धर्मांतरण मामले में शुआट्स यूनिवर्सिटी के कुलपति आरबी लाल की अग्रिम जमानत अर्जी एडीजे कोर्ट से खारिज हो गई है. गिरफ्तारी से बचने के लिए कुलपति ने कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. कोर्ट में दो घंटे तक चली बहस में अभियोजन ने मुकदमे की संवेदनशीलता को देखते हुए अग्रिम जमानत का विरोध किया, जबकि बचाव पक्ष ने वीसी के अभियुक्त नहीं होने का तर्क रख जमानत दिए जाने की मांग की थी.
धर्मांतरण मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए शुआट्स के वीसी आरबी लाल की ओर से दाखिल की गई अग्रिम जमानत अर्जी कोर्ट ने खारिज कर दी है. जमानत अर्जी पर बहस करते हुए जिला शासकीय अधिवक्ता सहदेव गुप्ता ने तर्क रखा कि शुआट्स के कुलपति आरबी लाल अब तक पुलिस की जांच में प्रकाश में आए तथ्यों के मुताबिक, सामूहिक धर्मांतरण के मास्टर माइंड हैं. पुलिस की पूछताछ से बचने के लिए वह रास्ते की तलाश कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने दो दिन पूर्व हुई शुआट्स के निदेशक विनोद बी लाल समेत पांच की जमानत अर्जी खारिज किए जाने और हाइकोर्ट के एक आदेश का भी हवाला दिया.
शासकीय अधिवक्ता ने आशंका जतायी है कि अगर वीसी आरबी लाल को जमानत मिल जाती है तो वह मुकदमे को प्रभावित कर सकते हैं. वहीं कुलपति के अधिवक्ता विक्रांत और चार्ली प्रकाश ने कोर्ट को बताया कि 15 अप्रैल 2022 में दर्ज की गई एफआईआर में शुआट्स के वीसी अभियुक्त नहीं हैं. आरबी लाल अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर हैं. अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी का वाइस चांसलर होने की वजह से पुलिस ने नोटिस भेज कर उनको बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया था.
सामूहिक धर्मांतरण के आरोपों में घिरे शुआट्स के लाल परिवार के करीबियों और मददगारों पर भी पुलिस शिकंजा कसने की तैयारी में है. सभी की सूची बनाकर ब्योरा खंगाला जा रहा है. सूची में लखनऊ में संचालित मिशनरी स्कूल के चेयरमैन का नाम भी है. पुलिस के मुताबिक लखनऊ में संचालित मिशनरी के शिक्षण संस्थान में हर साल करोड़ों का फंड यूएसए और ऑस्ट्रेलिया से आता है, जो धर्मांतरण में खर्च होता है.
चेयरमैन शुआट्स समेत आसपास संचालित कई मिशनरी स्कूलों, धार्मिक स्थलों को फंड उपलब्ध कराता है. जिस कुलपति व अहम पदों पर आसीन पदाधिकारियों के दामन आपराधिक कृत्यों से दागदार है, वहां की शैक्षिक गुणवत्ता व छात्रों के भविष्य पर भी बड़ा सवाल है. शुआट्स के कुलपति संग अहम पदों पर बैठे परिवार के सदस्यों पर 62 मुकदमे हैं, 48 केस धोखाधड़ी के है. जिनका ब्यौरा खंगाला जा रहा है. जिन्हें जांच में शामिल किया गया है.
जब लड़की वालों ने ईसाई धर्म अपनाने से इनकार कर दिया तो लड़के वालों ने शादी तोड़ दी. असोथर थाना क्षेत्र के सरकंडी के रहने वाले राम नरेश पासवान ने बताया कि बेटी की शादी हुसैनगंज के रहिमापुर के जितेंद्र से तय की थी. 20 जनवरी को जितेंद्र के परिजन आए और ईसाई धर्म अपनाने की बात कहने लगे. जब हम लागों ने ईसाई धर्म अपनाने से इनकार कर दिया तो जितेंद्र के घर वालो ने शादी तोड़ दी. मामलें की जानकारी राम नरेश ने पुलिस को दी. तहरीर पर पुलिस ने पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है.
रिपोर्ट: आयुष तिवारी