साल 1935 के बाद पहली बार UP विधान परिषद से कांग्रेस का एक भी नहीं होगा एमएलसी, सिमट गया सियासी इतिहास
लखनऊ की सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा तेज ही है कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद में नेतृत्व के लिए इस बार कांग्रेस का कोई भी नेता नहीं बचेगा. दरअसल, वर्तमान में कांग्रेस के दीपक सिंह एकमात्र विधान परिषद सदस्य हैं. वही नेता विधान परिषद भी हैं. उनका कार्यकाल भी जुलाई 2022 में खत्म हो रहा है.
Lucknow News: अब उत्तर प्रदेश की विधान परिषद में देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी की संख्या शून्य पर आकर टिक जाएगी. साल 1935 के बाद पहली बार ऐसा होगा जब कांग्रेस पार्टी का यूपी विधान परिषद में एक भी सदस्य नहीं होगा. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी महज दो सीटें जीत पाई थी. इससे विधान परिषद में कांग्रेस का एक भी सदस्य नहीं पहुंच सकता है. इसी के साथ यूपी में कांग्रेस के 87 साल के सियासी इतिहास सिमट गया.
6 जुलाई के बाद कांग्रेस का कोई सदस्य नहीं
लखनऊ की सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा तेज ही है कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद में नेतृत्व के लिए इस बार कांग्रेस का कोई भी नेता नहीं बचेगा. दरअसल, वर्तमान में कांग्रेस के दीपक सिंह एकमात्र विधान परिषद सदस्य हैं. वही नेता विधान परिषद भी हैं. उनका कार्यकाल भी 6 जुलाई 2022 में खत्म हो रहा है. ऐसे में कांग्रेस के लिए विधान परिषद में कोई भी नेता पार्टी का पक्ष रखने वाला नहीं रहेगा. ऐसा होने पर विधान परिषद पहली बार बिना किसी कांग्रेसी नेता की मौजूदगी में चलेगी.
विधान परिषद में कांग्रेस का हाल
बता दें कि उच्च सदन में सत्ताधारियों का ही बोलबाला रहता है. आमतौर पर यह चुनाव सत्ता का ही माना जाता है. कांग्रेस पार्टी की बात करें तो उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस पार्टी की स्थिति बिगड़ती जा रही है. पार्टी के महज दो ही विधायक इस बार जीत पाए हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी की तरफ से विधान परिषद में किसी भी प्रत्याशी को जिता पाना संभव नहीं है. इतना ही नहीं स्थानीय स्तर पर भी कांग्रेस पार्टी इतनी मजबूत नहीं है कि उसे कहीं से भी अपने प्रत्याशी को जीत मिलती नजर आए. इससे साफ है कि विधान परिषद में इस बार कांग्रेस का कोई नेतृत्वकर्ता नहीं होगा.