Varanasi News: ज्ञानवापी शृंगारगौरी प्रकरण में मंगवार को कोर्ट ने पहले नियुक्त किए गए वकील कमिश्नर अजय मिश्र को इस पूरी कार्रवाई से यह कह कर हटा दिया कि उनके सहयोगी और विशेष वकील कमिश्नर विशाल सिंह की तरफ से उनके बारे में साथ न देने और उनके पर्सनल कैमरामैन की तरफ से बातों को लीक करने की शिकायत की गई है. इसके जवाब में मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए अजय मिश्र ने कहा, ‘मैंने किसी पर भरोसा किया और उसने मेरे साथ विश्वासघात किया. मुझे विशाल सिंह से ये उम्मीद नहीं थी.’
वकील कमिश्नर अजय मिश्र ने कहा, ‘मुझे नहीं पता मुझे क्यों हटाया गया. मैं तो मीडिया के माध्यम से ही जान पाया ये सारी बातें. मुझ पर आरोप लग रहा है कि कैमरामैन के थ्रू जानकारी लीक की है. मैं इसका जवाब बस इतना ही देना चाहूंगा कि यदि मैंने आप पर विश्वास किया और आपने मुझे धोखा दिया तो इसमें मैं क्या कर सकता हूं. अधिवक्ता विशाल सिंह से मुझे ये उम्मीद नहीं थी कि वे मीडिया में ऐसे आरोप लगाएंगे.’ उन्होंने कहा, ‘मैं और अजय प्रताप सहयोग नहीं कर रहे हैं जबकि ये गलत है. मैंने कोर्ट का आदेश अभी तक नहीं देखा है लेकिन विशाल सिंह के कहने पर ही और उनकी शिकायत पर मेरे खिलाफ कार्रवाई की गई है. मेरे और उनके बीच किसी तरह का कोई विवाद नहीं हुआ था. अब मेरी कौन सी बात उनको बुरी लगी, मुझे नहीं पता. मेरे ऊपर जो आरोप लगे हैं, उसके बारे में भी मैं यह कहना चाहूंगा कि मैंने अपने काम को पूरी ईमानदारी से किया है. पूरी कार्यवाही में सभी का साथ भी दिया. मैंने विश्वास किया और मुझे धोखा मिला.’
कोर्ट ने जब वीडियोग्राफी कमीशन की कार्रवाई का निर्देश दिया था, तब अजय मिश्र के नेतृत्व में यह कार्यवाही आगे बढ़ी थी लेकिन बाद में 6 मई की कार्रवाई के बाद 7 मई को मुस्लिम पक्ष ने अजय मिश्र पर एकतरफा कार्यवाही का आरोप लगाते हुए उन्हें बदलने की मांग की थी. बाद में कोर्ट ने उन्हें बरकरार रखते हुए उनके साथ विशेष वकील कमिश्नर के तौर पर सहायक के रूप में विशाल सिंह और अजय प्रताप सिंह को नियुक्त कर दिया था. इस मामले में नया मोड़ तब आया जब न्यायालय की तरफ से वकील कमिश्नर अजय मिश्र को हटाने का आदेश दे दिया गया.
रिपोर्ट : विपिन सिंह