Good News: केजीएमयू में न्यूरो सर्जरी के मरीजों को 20 हजार तक की मुफ्त किट देने की बन रही योजना
मरीजों की समस्या को देखते हुए न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ. बीके ओझा ने यह प्रस्ताव बनाया है. इसमें उन्होंने विभाग में आने वाले गंभीर मरीजों को 20 हजार रुपये तक की किट नि:शुल्क उपलब्ध कराने की बात कही है ताकि मरीजों को तत्काल प्रभाव से इलाज मिल जाए. साथ ही, उनके इलाज में किसी प्रकार की कोई देरी न हो.
Lucknow KGMU News: किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (केजीएमयू) के न्यूरो सर्जरी विभाग में अब गंभीर मरीजों को इमरजेंसी अवस्था में 20 हजार रुपये तक की किट नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी. ऐसे में मरीजों को तत्काल प्रभाव से इलाज मिल पाएगा. बड़ी बात यह है कि उनके परिजनों को कागजी कार्यवाही में नहीं उलझना पड़ेगा और न ही उनके परिजनों को किट की व्यवस्था करने के लिए परेशान होना पड़ेगा.
सही समय पर इलाज मिल सके
दरअसल, मरीजों की समस्या को देखते हुए न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ. बीके ओझा ने यह प्रस्ताव बनाया है. इसमें उन्होंने विभाग में आने वाले गंभीर मरीजों को 20 हजार रुपये तक की किट नि:शुल्क उपलब्ध कराने की बात कही है ताकि मरीजों को तत्काल प्रभाव से इलाज मिल जाए. साथ ही, उनके इलाज में किसी प्रकार की कोई देरी न हो. उम्मीद जताई जा रही है कि न्यूरो सर्जरी के अलावा दूसरे सर्जिकल विभागों में भी यह व्यवस्था लागू करने पर विचार किया जा रहा है ताकि ऐसे मरीज जो किसी भी योजना के लाभार्थी नहीं हैं और आर्थिक रूप से कमजोर हैं उनको सही समय पर इलाज मिल सके.
असाध्य रोगी कार्ड और आयुष्मान योजना
इस संबंध में केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया था कि कार्य परिषद के निर्देश पर सक्षम स्तर से गरीब मरीजों को सर्जिकल विभागों में निर्धारित सीमा तक नि:शुल्क इलाज का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. प्रस्ताव के आधार पर कार्य परिषद जो निर्णय लेगी उसे लागू किया जाएगा. दरअसल, केजीएमयू में इस समय असाध्य रोग योजना के तहत कैंसर, किडनी और अन्य बीमारियों का नि:शुल्क इलाज किया जाता है. इसके तहत मरीजों को असाध्य रोगी कार्ड बनवाना होता है. वहीं, आयुष्मान योजना के तहत भी मरीजों को कैशलेस इलाज की सुविधा दी जाती है. इसकी संख्या भी ठीकठाक है. हालांकि, समस्या तब होती है जब कोई ऐसा दुर्घटनाग्रस्त मरीज संस्थान में भर्ती होता है, जिसके पास ये दोनों सुविधा नहीं होती है. ऐसे में गरीब मरीजों के इलाज पर संकट मंडराने लगता है.