Loading election data...

Ganesh Chaturthi: इस मंदिर से शुरू हुआ था यूपी का पहला गणेश महोत्सव, जानें कानपुर के गणेश मंदिर की खासियत

हम आपको एक ऐसे गणेश मंदिर के दर्शन करवाने जा रहे हैं, जिसका स्वरूप एक तीन मंजिला मकान के जैसा है. इसके साथ ही यहां पर भगवान गणेश के 10 स्वरूप एक साथ मौजूद हैं. उत्तर प्रदेश का यह एक इकलौता मंदिर कानपुर के घंटाघर के पास स्थित है. इसे अंग्रेजी हुकूमत के दौरान मुंबई के लोगों ने बनवाया था.

By Prabhat Khabar News Desk | August 31, 2022 3:11 PM

Kanpur Ganesh Chaturthi: गणेश महोत्सव की धूम पूरे देश में है. ऐसे में इस माहौल से कानपुर का भक्तिमय माहौल में सराबोर होना लाजिमि है. भक्त गणपति बप्पा की मूर्ति अपने घरों के अलावा पंडालों में सजा रहे हैं. इस माहौल में हम आपको एक ऐसे गणेश मंदिर के दर्शन करवाने जा रहे हैं, जिसका स्वरूप एक तीन मंजिला मकान के जैसा है. इसके साथ ही यहां पर भगवान गणेश के 10 स्वरूप एक साथ मौजूद हैं. उत्तर प्रदेश का यह एक इकलौता मंदिर कानपुर के घंटाघर के पास स्थित है. इसे अंग्रेजी हुकूमत के दौरान मुंबई के लोगों ने बनवाया था.

स्थापना के साथ हुई थी महोत्सव की शुरुआत

सिद्धि विनायक मंदिर की देखरेख करने वाले खेमचंद्र गुप्ता का कहना है कि ब्रिटिश सरकार लोगों को धर्म, जाति और मजहब के नाम पर लोगों को बांट रही थी. उस वक्त छुआछूत को रोकने के लिए बालगंगाधर तिलक ने यहां पर गणेश मंदिर के निर्माण के साथ महोत्सव की शुरुआत की थी. मगर इसके लिए उन्हें अंग्रेजों से भिड़ना पड़ा था क्योंकि यहां भगवान गणेश का मंदिर बनने के लिए अंग्रेजों ने रोक लगा दी थी. कारण बताया गया था कि इस मंदिर के 50 मीटर की परिधि में एक मस्जिद मौजूद थी. इस पर अंग्रेज अधिकारियों का तर्क था कि मस्जिद और मंदिर एक साथ नहीं बन सकते. ऐसे में यहां मंदिर बनवाने के बजाय 3 खंड का मकान बनवाकर भगवान गणेश को स्थापित किया गया था.

1908 में रखी गई थी मंदिर की नींव

1857 की क्रांति की ज्वाला जब अंग्रेजों के खिलाफ पूरे देश में फैल गई. क्रांतिकारी अंग्रेजों को देश से खदेड़ने के लिए लड़ाई लड़ रहे थे तो अंग्रेज भी हुकूमत बचाने के लिए नए-नए हथकंडे आजमा रहे थे. इसी दौरान उन्होंने जाति और मजहब के नाम पर लोगों को बांटना भी चाहा था लेकिन बालगंगाधर तिलक ने उनके मंसूबों में पानी फेर दिया.

Ganesh chaturthi: इस मंदिर से शुरू हुआ था यूपी का पहला गणेश महोत्सव, जानें कानपुर के गणेश मंदिर की खासियत 3
1893 में हुई थी गणेशोत्सव की शुरुआत

सबसे पहले सन 1893 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने सार्वजनिक तौर पर गणेशोत्सव की शुरुआत की थी. इसके बाद कानपुर में लोगों को जोड़ने के लिए घंटाघर चौराहे पर 1908 में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करवाई और महोत्सव मनाने का ऐलान कर दिया था. मंदिर के देखभाल करने वाले खेमचंद्र गुप्ता बताते हैं कि तिलक जी ने यहां भूमि पूजन किया और गणपति के लिए एक पंडाल लगवाया था. पंडाल में सैकड़ों की संख्या में लोग आते और जिन्हें अंग्रेजों के साथ ही छुआछूत के खिलाफ लड़ने के लिए जागरूक भी किया गया.

खाली प्लॉट में हुआ था मंदिर का निर्माण

खेमचंद्र गुप्त बताते हैं, ‘मेरे बाबा के कुछ व्यापारिक मित्र महाराष्ट्र के थे जो अधिकतर व्यापार के सिलसिले में गणेश उत्सव के समय कानपुर आया करते थे. इन लोगों की भगवान गणेश में अटूट आस्था थी और वो भी उस समय गणेश महोत्सव के समय घर में ही भगवान गणेश के प्रतिमा की स्थापना कर पूजन करते थे, और आखिरी दिन बड़े ही धूमधाम से विसर्जन करते थे.’ उन दिनों पूरे कानपुर में यहां अकेले गणेश उत्सव मनाया जाता था. इनकी भक्ति को देख इनके महाराष्ट्र दोस्तों ने उस खाली प्लॉट में भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित कर वहां मंदिर बनवाने का सुझाव दिया था. बाबा रामचरण के पास एक 90 स्क्वायर फिट का प्लाट घर के बगल में खाली पड़ा था. जहां इन्होंने मंदिर निर्माण करवाने के लिए 1908 में नींव रखी थी.

नींव रखने आये थे बालगंगाधर तिलक

सन 1921 में बाल गंगाधर तिलक ने इस मंदिर में गणेश प्रतिमा की स्थापना के लिए कानपुर आए थे. तिलक जी ने यहां भूमि पूजन तो कर दिया मगर मूर्ति स्थापना नहीं कर पाए क्योंकि पूजन के बाद किसी आवश्यक कार्य की वजह से उनको जाना पड़ा था. इसी दौरान अंग्रेज सैनिकों को यहां मंदिर निर्माण और गणेश जी की मूर्ति के स्थापना की जानकारी मिली तो उन्होंने मंदिर निर्माण पर रोक लगा दी थी.

Ganesh chaturthi: इस मंदिर से शुरू हुआ था यूपी का पहला गणेश महोत्सव, जानें कानपुर के गणेश मंदिर की खासियत 4
दिल्ली से 4 अंग्रेज अधिकारी कानपुर आए

अंग्रेज अधिकारियों के मना करने के बाद रामचंद्र ने कानपुर में मौजूद अंग्रेज शासक से मुलाकात की मगर बात नहीं बनी. फिर कानपुर के लोगों ने इसकी जानकारी बाल गंगाधर तिलक को दी. उन्होंने दिल्ली में अंग्रेज के बड़े अधिकारी से मिले और मंदिर स्थापना के साथ मूर्ति स्थापना की बात कही. इस पर दिल्ली से 4 अंग्रेज अधिकारी कानपुर आए और स्थिति का जायजा लिया था. अंग्रेज अधिकारी ने वहां गणेश प्रतिमा की स्थापना करने की अनुमति तो दी मगर इस प्लॉट पर मंदिर निर्माण की जगह दो मंजिला घर बनावाने की बात कही थी. ऊपरी खंड पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करने को कहा. इसके बाद यहां दो मंजिला घर बनाया गया. पहले तल पर भगवान गणेश की प्रतिमा को रामचरण गुप्त ने स्थापित किया.

ऋद्धि और सिद्धि विराजे

इस मंदिर में स्थापित भगवान गणेश की संगमरमर के पत्थर के मूर्ति के अलावा उनके सामने पीतल के गणेश भगवान के साथ उनके बगल में ऋद्धि और सिद्धि को भी स्थापित किया गया है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां भगवान गणेश के दोनों बेटे शुभ-लाभ को भी स्थापित किया गया है. इसके अलावा दूसरे खंड पर भगवान गणेश के नौ रूप को पुजारियों के कहने पर स्थापित किया गया था. इसके साथ ही इस मंदिर में भगवान गणेश का एक मूर्ति ऐसा है जिसमे दशानन की तरह दस सिर लगे हुए हैं.

रिपोर्ट : आयुष तिवारी

Next Article

Exit mobile version