Varanasi News: एसटीएफ वाराणसी यूनिट के हाथ बड़ी सफलता लगी है. टीम ने सिगरा थाना क्षेत्र से सेना, रेलवे समेत अन्य सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गैंग के सरगना सहित 3 लोगों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों के कब्जे से सेना और रेलवे से संबंधित कागजात, एक लाख का विड्रॉल फॉर्म, रेलवे नियुक्ती के फर्जी फॉर्म, 10 अभ्यर्थियों की फोटो बरामद की हैं.
वाराणसी के आस पास के जनपदों के साथ-साथ हैदराबाद ,नई दिल्ली, कोलकता, भुनेश्वर और लखनऊ आदि में नौकरी के नाम पर ठगी को अंजाम दे चुके हैं. गिरोह के लोग बेरोजगार युवकों से आवेदन पत्र भरवाकर उनका फर्जी मेडिकल कराते थे, और फिर फर्जी नियुक्ति पत्र देकर ठगी किया करते थे. मामले की सूचना मिलिट्री इन्टेलीजेन्स वाराणसी को प्राप्त हुई थी. इस पूरे मामले पर एसटीएफ एसएसपी ने वाराणसी एसटीएफ फील्ड टीम को कार्रवाई के लिए निर्देश दिया.
एसटीएफ वाराणसी के निरीक्षक अनिल कुमार सिंह को जांच के दौरान पता चला कि इसी तरह का मामला सिगरा थाने में पहले से दर्ज हुआ है. सेना में भर्ती के नाम पर ठगी की जा रही है. एसटीएफ प्रभारी निरीक्षक और सिगरा थाना प्रभारी निरीक्षक को मुखबिर के द्वारा जानकारी मिली की सेना,सिंचाई विभाग अन्य सरकारी नौकरी आदि में भर्ती के नाम पर ठगी करने वाले गैंग का सरगना अजीत प्रताप सिंह उर्फ अमन अपने गैंग के कुछ साथियों के साथ काशी विद्यापीठ रोड पर भारत माता मंदिर के पास खड़ा है.
एसटीएफ ने सिगरा पुलिस के साथ विद्यापीठ भारत माता मंदिर के आस पास घेराबंदी कर सभी को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार गिरोह के सरगना अजीत प्रताप सिंह उर्फ अमन निवासी नई दिल्ली, धर्मेंद्र कुमार निवासी कानपुर देहात और आशु सिंह निवासी नई दिल्ली को गिरफ्तार किया गया है.
एसटीएफ एडिशनल एसपी विनोद कुमार सिंह ने बताया कि, गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में जानकारी मिली की गिरोह का सरगना अजीत प्रताप सिंह उर्फ अमन पहले एक प्राइवेट कॉल सेन्टर पर नौकरी के दौरान प्राइवेट कंपनियों में नौकरी दिलाने के नाम पर 05-05 हजार रुपए लेता था. इसी दौरान इसका संपर्क बिहार और बंगाल के अन्य जालसाजों से हो गया, जो नौकरी दिलाने के नाम पर पहले से ही ठगी का काम करते थे. इन लोगों ने मिलकर सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने की योजना बनायी.
आरोपियों ने बताया कि इसके बाद इन अभ्यर्थियों से 5 से 7 लाख रुपए लेकर इनके पते पर फर्जी ज्वाइनिंग लेटर और आईडी बनाकर भेज देते थे. इसके बाद इस गैंग के लोग संबंधित विभाग के कार्यालय के परिसर के पास किराए पर कमरा लेकर वहां इन अभ्यर्थियों को 2-3 माह का प्रशिक्षण कराते थे और इसके बाद अभ्यर्थियों के बैंक खाते में इन्हीं के पूर्व में लिए गये पैसे में से 3 महीने तक 25-25 हजार रुपया वेतन के नाम पर भेजते थे. इससे इन अभ्यर्थियों को यह आभास होता था कि उनकी वास्तव में नौकरी लग गयी है. इसके बाद अभ्यर्थी अपने परिचित अन्य अभ्यर्थियों को इनसे मिलवा देते थे. इस तरह से जब ठगी से काफी पैसा एकत्रित हो जाता था, तब यह गायब हो जाते थे.
गैंग का सरगना अजीत प्रताप सिंह आर्मी, रेलवे, सिचाई विभाग, आदि में आऊटसोर्सिंग के माध्यम से भरे जाने वाले पदों का टेंडर लेने लगा था. अभ्यर्थियों से भारी धन लेकर यहां पर रखवा देता था और यह भरोसा दिलाता था कि दो साल काम करने के बाद से यहां पर नियमित रूप से नौकरी लग जाएगी. जब काफी संख्या में अभ्यर्थी आने लगे तो ये लोग हैदराबाद, नई दिल्ली, कोलकता, भुवनेश्वर आदि जगहों पर अपनी ऑफिस खोलकर फर्जी तरीके से नौकरी लगवाने लगे. इस तरीके से इस गैंग ने करोड़ों रुपये की ठगी को अंजाम दिया. फिलहाल मामले में आगे की कार्रवाई जारी है.
रिपोर्ट- विपिन सिंह