Varanasi News: काशी में दशाश्वमेध घाट पर बढ़ा जलस्तर, अब छत पर होने लगी गंगा आरती, प्रशासन अलर्ट
वाराणासी में गंगा का जलस्तर बढ़ने से यहां दैनिक रूप होने वाली आरती अब सीढ़ियों की जगह कार्यालय की छत पर होना शुरू हो गई है. ऐसे में अब सावन के महीने में दर्शनार्थियों की शहर में बढ़ती संख्या ने गंगा आरती देखने वालों के लिए समस्या खड़ी कर दी है.
Varanasi News: वाराणासी में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में यहां दैनिक रूप होने वाली आरती अब सीढ़ियों की जगह कार्यालय की छत पर होना शुरू हो गई है. ऐसे में अब सावन के महीने में दर्शनार्थियों की शहर में बढ़ती संख्या ने गंगा आरती देखने वालों के लिए समस्या खड़ी कर दी है, क्योंकि कार्यालय में सीमित संख्या में ही दर्शनार्थी प्रवेश कर पा रहे हैं. अन्य लोग घाट से ही गंगा आरती देख पा रहे हैं.
गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी गंगा का जलस्तर काफी बढ़ गया है. सावन महीने में कांवरियों की बढ़ती संख्या से दर्शनार्थियों में काफी इजाफा होता जा रहा है. इसकी वजह से महादेव के दर्शन-पूजन के बाद से सभी गंगा आरती के लिए आ रहे हैं. इसकी वजह से घाट की सीढ़ियों पर जगह कम होती जा रही हैं. इसलिए गंगा सेवा निधि ने अपनी दैनिक आरती का स्थान परिवर्तित करते हुए गंगा सेवा निधि के कार्यालय के ऊपर आरती संपन्न करा रही हैं.
कार्यालय में बहुत सीमित संख्या में लोग आरती के वक़्त आ पा रहे हैं, बाकी लोग घाट से ही दर्शन कर रहे हैं. गंगा के बढ़ते जलस्तर की वजह से घाट पर 8 से लेकर 10 फीट तक मिट्टी जम जाती हैं. इसकी वजह से जब घाट का पानी घटता है तो दुबारा से उसे साफ और पेंट कराने जैसी समस्या से दो चार होना पड़ता है. इससे आयोजकों को भी समस्याएं होती हैं, और दर्शनार्थियों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
वहीं दूसरी तरफ़ घाट पर गंगा सेवा निधि द्वारा कार्यालय में आयोजित आरती देखने आए झांसी से सौरभ और श्रद्धा ने बताया कि सावन महीने वे काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए आये थे तो गंगा आरती के लिए भी आ गए दशाश्वमेध घाट पर, यहां काफी भीड़ देखने को मिल रही है. मगर जहां भोलेनाथ का आशीर्वाद रहता है वहां हर समस्या सुलझ जाती हैं. इसलिए यहां आकर बहुत आनन्द की अनुभूति हुई. थोड़ी बहुत गंगा के बढ़ते जलस्तर की वजह से समस्या तो हुई मगर आरती को देखकर मन तृप्त हो गया.
रिपोर्ट- विपिन सिंह