Kanpur News: कानपुर के कोहना थाना इलाके में गंगा बैराज में बालू से लदे डंपर ने एक स्कूटी सवार युवती का जान ले ली. जबकि उसकी सहेली गम्भीर रूप से घायल है, जिसे अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है. गंगा बैराज बेतरतीब खनन के चलते तीसरी मौत का गवाह बन चुका हैं.
दरअसल, कल्याणपुर निवासी 24 वर्षीय युवती रिंकी अपनी सहेली कोमल के साथ स्कूटी से उन्नाव की ओर से घर आ रही थी. तभी कोहना थाना क्षेत्र के गंगा बैराज चौकी के पास वह तेज रफ्तार अनियंत्रित डंपर की चपेट में आ गयी, जिससे रिंकी की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गयी, जबकि उसकी सहेली कोमल गम्भीर रूप से घायल हो गयी. घटना की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची तब तक डंपर चालक मौके से फरार हो चुका था. मृतक युवती के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है, जबकि घायल युवती को अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
स्कूटी नबंर से मृतक युवती के बारे में शिनाख्त कराई गई. जब परिजनों तक बेटी की मौत की खबर पहुंची तो परिवार में कोहराम मच गया. दरअसल, बालू खनन के डंपर से मौत का ये कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले 22 फरवरी 2021 को मन भौना पुरवा में घर के बाहर खेल रही 4 वर्षीय मासूम बच्ची की बालू लदे डंपर की चपेट में आकर मौत हो चुकी है. बच्ची की मौत के बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने शव को सड़क पर रखकर सड़क जाम करने का प्रयास किया था, लेकिन पुलिस के दबाव में आकर बच्ची का अंतिम संस्कार कर दिया गया.
वहीं, जनवरी 2022 गंगा बैराज चौकी के सामने एक अज्ञात अधेड़ को बालू से भरे डंपर ने रौद दिया था, चूंकि मरने वाला अज्ञात था जिसकी वजह से कोई हो हल्ला नहीं हो सका. वहीं अब तीसरी घटना में युवती की दर्दनाक मौत ने सबके दिलों को झकझोर दिया है. लगातार हो रही घटनाओं से ग्रामीण अब बड़ी लड़ाई की ओर अग्रसर होने की तैयारी में जुट गए हैं.
रानीघाट के लोधवा खेड़ा में खनन का पट्टा आवण्टित किया गया था. यहां पर बेतरतीब और गलत जगह पर खनन कई बार पकड़ा जा चुका है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की फटकार के बाद खनन पट्टाधारक पर 17 लाख का जुर्माना लगाए जाने के साथ ही तत्तकालीन खनन अधिकारी को जिले के बाहर का रास्ता भी दिखाया जा चुका है. इसके NGT गाइड लाइन की धज्जियां उड़ाकर यहां पर बेतरतीब खनन को अंजाम दिया जा रहा है.
बेतरतीब और गलत जगह खनन को लेकर तमाम शिकायतें की जा चुकी हैं. आक्रोशित ग्रामीण दो स्थानीय प्रधानों के साथ खनन स्थल पर पहुंचे थे, और इसे बंद करा दिया था. स्थानीय प्रधानों के साथ सैकड़ों को संख्या में ग्रामीण इसके विरोध में है. ग्रामीण खनन की जमीन का सीमांकन कराने के लिए जिलाधिकारी से लेकर खनन विभाग तक चक्कर लगा चुके है. बावजूद इसके खनन पट्टा धारक का रसूख कहे या फिर जिला प्रशासन की मजबूरी जिससे पट्टाधारक के हौसले बुलन्द हैं.
रिपोर्ट: आयुष तिवारी