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Gorakhpur News: नए कलेवर की गीता अब 15 भाषाओं में होगी प्रकाशित, गीता प्रेस कर रहा तैयारी

Gorakhpur News: विश्व प्रसिद्ध गीता प्रेस अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर चुकी है. गीता प्रेस अब तक कई भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित करता है. गीता विभिन्न आकार और प्रकार की 15 भाषाओं में 16.54 करोड़ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित कर चुका है.

Gorakhpur News:  गोरखपुर विश्व प्रसिद्ध गीता प्रेस गीता को जन जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से स्थापित की गई थी .वह अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर चुकी है .गीता प्रेस अब तक कई भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित करता है. गीता विभिन्न आकार और प्रकार की 15 भाषाओं में 16.54 करोड़ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित कर चुका है. गीता आर्ट पेपर पर 4 रंगों में सचित्र गीता नए कलेवर में प्रकाशित पिछले वर्ष से कर चुका है. जो हिंदी, गुजराती ,मराठी और अंग्रेजी भाषाओं में प्रकाशित हो रही है.

15 भाषाओं में किया जाएगा प्रकाशित

आर्ट पेपर पर अंग्रेजी पाठकों तक 4 भाषाओं में गीता पहुंच चुकी है. इसे भी अब 15 भाषाओं में प्रकाशित किया जाएगा. जिसमें बंगला और तेलुगू भाषाओं का संस्करण तैयार हो गया है. इसे जनवरी 2023 में पाठकों को उपलब्ध करा दिया जाएगा. गीता प्रेस गोरखपुर की पहचान है. 100 वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश के काफी पिछड़े जनपद में से एक गोरखपुर ने इसके प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी उठाई .कोलकाता के सेठ जयदयाल गोयनका इसके वाहक बने. 1923 में उन्होंने गीता के प्रकाशन के लिए प्रेस की स्थापना की. जिसे आज गीता प्रेस के नाम से जाना जाता है.

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क्या है गीता प्रेस की कहानी

मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी को गीता कुरुक्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण के मुख से उत्पन्न हुई थी. गीता प्रेस की स्थापना की कहानी प्रेरित करने वाली है. लगभग 1921 में कोलकाता में सेठ जी जयदयाल गोयनका ने गोविंद भवन ट्रस्ट की स्थापना की थी. इसी ट्रस्ट के तहत वही से वह गीता का प्रकाशन कराते थें. शुद्धतम गीता के लिए प्रेस को कई बार संशोधन करना पड़ता था. तभी प्रेस के मालिक ने एक दिन कहा कि इतना शुद्ध गीता प्रकाशित करवानी है तो अपना प्रेस लगवा लीजिए.

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जिसके बाद जयदयाल गोयनका ने गोरखपुर में 1923 में उर्दू बाजार में 10 रुपए महीने के किराए के एक कमरे में गीता का प्रकाशन शुरू किया . जिसके बाद धीरे-धीरे गीता प्रेस भवन का निर्माण हुआ. जिसके मुख्य द्वार पर लीला चित्र मंदिर स्थित है. इसका उद्घाटन 19 अप्रैल 1955 में भारत के तत्कालीन और प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के हाथों हुआ था.

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4 जून 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति कोविंद ने किया था उद्घाटन

आज गीता प्रेस से प्रकाशित पुस्तकें देश ही नहीं पूरे संसार में पहुंच रही है. अब गीता प्रेस में आर्ट पेपर पर 15 भाषाओं में नए कलेवर की गीता प्रकाशित की जाएगी .गीता प्रेस अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है और इस शताब्दी वर्ष समारोह का उद्घाटन 4 जून 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था.

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गोरखपुर में गीता का प्रकाशन जिस मशीन से शुरू हुआ था. वह मशीन आज भी लोगों के दर्शनार्थ के लिए लीला चित्र मंदिर में रखी गई है. लोग लीला चित्र मंदिर में भगवान राम और कृष्ण की लीला चित्रों का दर्शन करने के साथ-साथ इस मशीन को भी देखते हैं. बाहर से आने वाले लोगों को जब यह पता चलता है कि इसी मशीन से गोरखपुर में पहली गीता प्रकाशित हुई थी तो लोग उस मशीन को प्रणाम करते हैं और उसके प्रति आदर भाव प्रकट करते हैं.

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गीता प्रेस के प्रबंधक डॉ लालमणि तिवारी ने बताया कि गीता प्रेस से 15 भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित होती हैं. आर्ट पेपर पर प्रकाशित होने वाली गीता को भी सभी 15 भाषाओं में प्रकाशित किया जाएगा. फिलहाल अभी आर्ट पेपर पर चार भाषाओं में गीता का प्रकाशन हो चुका है. आगामी जनवरी में दो अन्य भाषाओं में भी संस्करण निकलने जा रहे हैं जिसकी तैयारी पूरी हो चुकी है.

रिपोर्ट- कुमार प्रदीप, गोरखपुर

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