बरेली से थे देश के चौथे उपराष्ट्रपति गोपाल स्वरूप पाठक, अंग्रेजों के जमाने में रह चुके थे जस्टिस, पढ़ें
देश को आज शाम तक 14वें और नए उपराष्ट्रपति मिल जाएंगे. इसके लिए चुनाव प्रक्रिया आज सुबह 10 बजे से शुरू हो चुकी है, लेकिन क्या आपको पता है कि देश को बरेली की सरजमीं ने भी एक उपराष्ट्रपति दिया है. आइए जानते हैं...
Bareilly News: देश के 14वें उपराष्ट्रपति का चुनाव शनिवार यानी आज सुबह 10 बजे से शुरू हो गया है. शाम को मतगणना के बाद नए उपराष्ट्रपति की घोषणा हो जाएगी, लेकिन क्या आपको पता है कि देश को बरेली की सरजमीं ने भी एक उपराष्ट्रपति दिया है. शहर के बानखाना मुहल्ले के रहने वाले गोपाल स्वरूप पाठक देश के चौथे उपराष्ट्रपति चुने गए थे. उन्होंने 31 अगस्त 1969 से 30 अगस्त 1974 तक उपराष्ट्रपति की जिम्मेदारी संभाली.
अंग्रेजों के शासन काल में रहे थे जस्टिस
शहर के कुंवर दयाशंकर ऐडवर्ड मेमोरियल (केडीईएम) इंटर कॉलेज से आठवीं तक की पढ़ाई करने वाले गोपाल स्वरूप पाठक ने एमए और एलएलबी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से किया. इसके बाद वह जज (न्यायाधीश) बन गए.अंग्रेजों के शासन काल में गोपाल स्वरूप पाठक वर्ष 1945 से 1946 तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (जस्टिस) रहे.
कर्नाटक के राज्यपाल भी रह चुके हैं गोपाल स्वरूप पाठक
बरेली में 26 फरवरी 1896 को जन्म लेने वाले गोपाल स्वरूप पाठक मैसूर, बेंगलुरु और कर्नाटक विश्वविद्यालय के कुलपति रहे. इसके बाद 3 अप्रैल 1960 से 2 अप्रैल 1966 और 3 अप्रैल 1966 से 13 मई 1967 तक राज्यसभा में सदस्य चुने गए, जबकि 1966 से 1967 तक केंद्रीय विधि मंत्री की जिम्मेदारी संभाली. इसके बाद 13 अप्रैल 1967 से 31 अगस्त 1969 तक मैसूर राज वर्तमान कर्नाटक के राज्यपाल रहे थे. उनका देहांत 31 अगस्त 1982 को दिल्ली में हो गया था. मगर, बरेली के भी काफी कम लोग पूर्व उपराष्ट्रपति गोपाल स्वरूप पाठक के बारे में जानते हैं. पूर्व उपराष्ट्रपति गोपाल स्वरूप पाठक मिलनसार और काफी व्यवहारिक थे.
पूर्व सीएम एनडी तिवारी से थी अच्छी दोस्ती
यूपी और उत्तराखंड के पूर्व सीएम और पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण दत्त तिवारी (एनडी तिवारी) उनके क्लास फेलो थे. एनडी तिवारी ने भी केडीईएम इंटर कॉलेज में पढ़ाई की. उनके पिता पूर्णानंद तिवारी वन विभाग में नौकरी करते थे. जिसके चलते उनकी पढ़ाई बरेली में हुई. वह पूर्व राष्ट्रपति गोपाल स्वरूप पाठक के काफी अच्छे दोस्त थे.
उपराष्ट्रपति चुनाव में यह करते हैं वोटिंग
भारत में उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं. अगर, किसी वजह से राष्ट्रपति का पद खाली होता है, तो उनकी जिम्मेदारी उपराष्ट्रपति संभालते हैं. यह पद राष्ट्रपति से छोटा और प्रधानमंत्री से बड़ा होता है. उपराष्ट्रपति के चुनाव में सिर्फ लोकसभा और राज्यसभा के सांसद वोट करते हैं. इसके साथ ही चुनाव में मनोनीत सदस्य भी हिस्सा लेते हैं. इस बार चुनाव में कुल 788 वोट डाले जाएंगे. इसमें लोकसभा के 543 सांसद, राज्यसभा 243 सदस्य और राज्यसभा में 12 मनोनीत सांसद भी वोट कर सकते हैं.
बैलेट पेपर से होता है चुनाव
उपराष्ट्रपति चुनाव की खास बात यह है कि वोटिंग के दौरान सांसद को एक ही वोट देना होता है, लेकिन उसे अपनी पसंद के आधार पर प्राथमिकता तय करनी होती है. बैलेट पेपर पर मतदाता को अपनी पसंद को 1, दूसरी को 2 और इसी तरह से प्राथमिकता तय करनी होती है.यह चुनाव वैलेट पेपर से होता है.
यह रह चुके हैं देश के उपराष्ट्रपति
देश के सबसे पहले उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे. इसके बाद जाकिर हुसैन, वीवी गिरी, गोपाल स्वरूप पाठक, बीडी जत्ती, मोहम्मद हिदायतुल्लाह, रामस्वामी वेंकटरमण, शंकर दयाल शर्मा, केआर नारायण, कृष्णकांत, भैरों सिंह शेखावत, मोहम्मद हामिद अंसारी और एम बैंकेया नायडू उपराष्ट्रपति रह चुके हैं. इसमें सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जाकिर हुसैन वीवी गिरी, शंकर दयाल शर्मा और आदिवासी केआर नारायण राष्ट्रपति की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.
रिपोर्ट: मोहम्मद साजिद