UP: गोरखपुर के गीडा में औद्योगिक इकाइयां बढ़ने से बिजली खपत में इजाफा, बनाया जाएगा 132 केवी का सब स्टेशन

गीडा द्वारा औद्योगिक गलियारे को तेजी से विकसित किया जा रहा है. इसी क्षेत्र में प्लास्टिक पार्क की स्थापना भी की जा रही है, जहां 92 औद्योगिक इकाइयां स्थापित होंगी और बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिलेगा.

By Prabhat Khabar News Desk | November 21, 2022 12:44 PM

Gorakhpur News: गोरखपुर के गीडा औद्योगिक गलियारे को तेजी से विकसित किया जा रहा है. बिजली निगम गीडा के सहयोग से यहां 132 केवी ट्रांसमिशन उपकेंद्र स्थापित करेगा. इससे गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे के दोनों ओर विकसित हो रहे औद्योगिक गलियारे में निर्बाध बिजली आपूर्ति हो सकेगी. इसके लिए नरकटहा में करीब 5 एकड़ जमीन बिजली निगम को दी जाएगी, जिसको तैयार करने में आने वाले खर्च लगभग 27 करोड़ रुपये गीडा वहन करेगा.

उत्तर प्रदेश की कमान जब योगी आदित्यनाथ ने संभाली तो गोरखपुर के गीडा के औद्योगिक गलियारे को बढ़ावा देने के लिए काफी कार्य किए गए, जिससे यहां बड़ी-बड़ी कंपनियां अपनी औद्योगिक इकाइयां लगा रही है. यहां होने वाले बिजली खपत को देखते हुए बिजली निगम गीडा के सहयोग से यहां 132 केवी ट्रांसमिशन उप केंद्र स्थापित करने जा रहा है.

गीडा द्वारा औद्योगिक गलियारे को तेजी से विकसित किया जा रहा है. इसी क्षेत्र में प्लास्टिक पार्क की स्थापना भी की जा रही है, जहां 92 औद्योगिक इकाइयां स्थापित होंगी और बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिलेगा.

बताते चलें पेप्सीको कंपनी अपनी बाटलिंग प्लांट भी गीडा में लगाने जा रही है, जिसमें करीब 1071 करोड़ रुपये का निवेश होगा. इसके लिए कंपनी को जमीन आवंटित किया जा चुका है. इसके साथ ही कई छोटी-छोटी कंपनियां अपनी इकाइयां इस क्षेत्र में स्थापित करने जा रही हैं. सभी को निर्बाध रूप से बिजली आपूर्ति हो इसके लिए ट्रांसमिशन उपकेंद स्थापित करने का निर्णय किया गया है.

गोरखपुर के गीडा क्षेत्र के बरहुआ में पहले से 132 केवी व 220 केवी विद्युत ट्रांसमिशन उप केंद्र संचालित हो रहा है. इससे गीडा के करीब 1000 से अधिक इकाइयों को बिजली आपूर्ति होती है. नए उपकेंद्र के लिए 10 प्रतिशत बजट दिया जा चुका है.

गीडा में जिस गति से औद्योगिक इकाइयां बन रही हैं. इससे बिजली की खपत भी ज्यादा हो रही है. बिजली की निर्बाध आपूर्ति एक चुनौती बन चुकी है. अभी जितनी क्षमता के उपकेंद्र स्थापित है, उसका उपयोग हो रहा है. लेकिन, जिस गति से यहां औद्योगिक इकाइयां बढ़ रही हैं, इसमें बिजली उपकेंद्र स्थापित करने की आवश्यकता बढ़ गई है.

रिपोर्ट–कुमार प्रदीप, गोरखपुर

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