Gyanvapi Case: ASI और यूपी सरकार को इलाहाबाद HC से नोटिस, याचिका में शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच की मांग
एएसआई के डायरेक्टर जनरल का हलफनामा दाखिल नहीं होने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई थी. साथ ही केंद्र सरकार के कल्चरल डिपार्टमेंट पर दस हजार रुपये का हर्जाना लगाया था. यहां यह जानना आवश्यक है कि मई 2022 में कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हुआ था.
Gyanvapi Case Update: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की कार्बन डेटिंग सहित साइंटिफिक सर्वे कराए जाने की मांग में दाखिल याचिका को सुनवाई के लिए 21 नवंबर को पेश करने का निर्देश दिया है. राज्य सरकार सहित विपक्षियों को नोटिस जारी कर दिया गया है. वाराणसी की जिला अदालत द्वारा अर्जी खारिज करने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.
किन-किन को बनाया गया पक्षकार
जानकारी के मुताबिक, पक्षकारों ने अपनी याचिका में जिला अदालत वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का साइंटिफिक सर्वे कराने की मांग की थी. कोर्ट ने 14 अक्टूबर को इस अपील को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने उस सुनवाई में कहा था कि ऐसा करने से निर्माण को क्षति पहुंच सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने परिसर की यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है. इसके बाद एक नई याचिका में जिला न्यायालय के इसी फैसले को चुनौती दी गई है. दरअसल, याचिका में एएसआई, यूपी सरकार सहित अन्य को पक्षकार बनाया गया है. यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने याची लक्ष्मी देवी व तीन अन्य की पुनरीक्षण याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता हरिशंकर जैन व विष्णु शंकर जैन ने बहस की.
‘पूरा अधिकार हिंदुओं को ही सौंपा जाए’
इससे पहले एएसआई के डायरेक्टर जनरल का हलफनामा दाखिल नहीं होने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई थी. साथ ही केंद्र सरकार के कल्चरल डिपार्टमेंट पर दस हजार रुपये का हर्जाना लगाया था. यहां यह जानना आवश्यक है कि मई 2022 में कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हुआ था. इस सर्वे में ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने से कथित शिवलिंग पाई गई है. हिंदुओं की मांग थी कि इस शिवलिंग पर उन्हें पूजा का अधिकार मिले और गैर-हिन्दुओं का प्रवेश वर्जित किया जाए. इसके अलावा परिसर का पूरा अधिकार हिंदुओं को ही सौंपा जाए.