UP News: ज्ञानवापी केस में सबसे पहली वादिनी राखी सिंह के पैरोकार जितेंद्र सिंह विसेन को है ‘अनहोनी’ का डर
ज्ञानवापी केस में पैरोकार जितेंद्र सिंह बिसेन के भेजे गए संदेश में कहा गया है, ‘काशी, मथुरा व देश के अन्य कई धार्मिक स्थलों की संवैधानिक लड़ाई लड़ने का कार्य मैं कर रहा हूं. कुछ लोग चाहते हैं कि यह कार्य मैं न करूं. किसी भी समय मेरे या मेरे किसी भी संगठन के सदस्य के साथ कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है.
Varanasi News: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में सबसे पहली वादिनी महिला राखी सिंह के पैरोकार और विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन द्वारा अपने और संगठन समेत परिवार से जुड़े सदस्यों के साथ किसी अनहोनी की आशंका जताई है. उन्होंने मिडिया के समक्ष कहा, ‘हिंदू विरोधी शक्तियों के अतिरिक्त तथाकथित हिंदुत्व के ठेकेदार भी मेरे विरोध में उतर कर हरसंभव प्रयास कर रहे हैं कि मैं इन कार्यों को छोड़ दूं. दुर्भाग्य मेरा ऐसा है कि सरकार और शासन-प्रशासन के अधिकारी भी उन सभी का पूर्ण सहयोग कर रहे हैं. मेरे ऊपर हर तरह से दबाव बनाया जा रहा है कि मैं यह सब कार्य बंद कर दूं.’
‘रची जा रही साजिश’
मीडिया को सोमवार को जितेंद्र सिंह बिसेन की तरफ से भेजे गए संदेश में कहा गया है, ‘काशी, मथुरा व देश के अन्य कई धार्मिक स्थलों की संवैधानिक लड़ाई लड़ने का कार्य मैं कर रहा हूं. कुछ लोग चाहते हैं कि यह कार्य मैं न करूं. मेरे सामने जो परिस्थितियां बन रही हैं, उन परिस्थितियों में किसी भी समय मेरे या मेरे किसी भी संगठन के सदस्य के साथ कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है. इसकी साजिश रची जा रही है.’
‘बदनाम करने की हो रही कोशिश’
जितेंद्र सिंह बिसेन ने कहा कि मीडिया के माध्यम से समाज में भ्रम फैलाया जा रहा है कि राखी सिंह मुकदमा वापस ले रही हैं. उन्होंने कहा कि वे कमीशन की इस कार्रवाई में शामिल न हो सकें, इसके लिए हर संभव प्रयास किया गया. अंततः एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह के द्वारा उन्हें कमीशन कार्रवाई के दौरान कमीशन से बाहर कर दिया गया. उनके अकाउंट में अज्ञात सूत्रों के द्वारा पैसा देकर उन्हें बदनाम किया गया. समाज में यह भ्रम फैलाया गया कि जितेंद्र सिंह बिसेन मुस्लिम पक्ष से मिले हुए हैं.
सरकार ऐसे असामाजिक तत्वों के साथ?
उन्होंने कहा कि कमीशन कार्रवाई के दौरान हुई वीडियोग्राफी न्यायालय के सख्त आदेश के बाद भी लीक हुआ और उसका इल्जाम उनके ऊपर लगाया गया. वीडियो लीक मामले में सरकार के द्वारा दोषियों के खिलाफ न जांच कराई गई और न ही कार्रवाई की गई. जितेंद्र ने सरकार से ज्ञानवापी प्रकरण के दौरान हुई प्रत्येक घटना की सीबीआई जांच की मांग की लेकिन सरकार के द्वारा किसी भी प्रकार की कोई जांच नहीं की गई. अंत में उन्होंने आरोप लगाया गया कि स्पष्ट है कि सरकार ऐसे असामाजिक तत्वों के साथ है.
‘अधिवक्ता अनुपम त्रिवेदी को धमकी देकर डराया गया’
जितेंद्र सिंह बिसेन ने कहा कि उनके द्वारा सीबीआई जांच की मांग करने पर उनके सहयोगियों के ऊपर फर्जी मुकदमे दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया. इससे उनके साथ जुड़े हुए लोगों का मनोबल टूटा और उनके कई सहयोगी उनसे दूर हो गए. कमीशन की कार्रवाई के दौरान थाना चौक से संबंधित पुलिस अधिकारियों का उनके प्रति दुर्व्यवहार किया गया. न्यायालय परिसर में मेरे अधिवक्ता अनुपम त्रिवेदी को धमकी देकर डराया गया.
रिपोर्ट : विपिन सिंह