Gorakhpur Exclusive: हर घर तिरंगा अभियान के लिए झंडे की सप्लाई बनी चुनौती, बाजार में आई कपड़ों की किल्लत

तिरंगा झंडा बनाने के लिए गोरखपुर में राजस्थान, सूरत से रोटो, माइक्रो और स्विस कॉटन कपड़ा मंगाया जा रहा है लेकिन वहां के बाजारों में भी कपड़े शॉर्ट हो गए हैं. फैक्ट्री नगदी एडवांस देने के बाद ही कपड़े का आर्डर ले रही हैं जबकि कपड़ों के रेट में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 30, 2022 6:43 PM

Gorakhpur News: हर घर तिरंगा अभियान को लेकर गोरखपुर में तिरंगा झंडा बनाने के काम तेजी से किए जा रहे हैं. सरकारी विभागों से लेकर सामाजिक संगठन इसके लिए जोरों शोर से लगे हुए हैं. गोरखपुर में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत 13 से 15 अगस्त तक चलने वाले हर घर तिरंगा अभियान से तिरंगे की मांग बढ़ गई है. छोटे रेडीमेड गवर्नमेंट यूनिटों से मांग हो रही है.

बाजार में तिरंगे की मांग बढ़ी

तिरंगा झंडा बनाने के लिए गोरखपुर में राजस्थान, सूरत से रोटो, माइक्रो और स्विस कॉटन कपड़ा मंगाया जा रहा है लेकिन वहां के बाजारों में भी कपड़े शॉर्ट हो गए हैं. फैक्ट्री नगदी एडवांस देने के बाद ही कपड़े का आर्डर ले रही हैं जबकि कपड़ों के रेट में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. गोरखपुर में सरकारी विभाग व सामाजिक संगठन 8 लाख से अधिक घरों पर तिरंगा लहराने की व्यवस्था को लेकर लगे हुए हैं. अगर गोरखपुर मंडल की बात की जाए तो 33 लाख से अधिक घरों पर तिरंगा लहराने की व्यवस्था की जा रही है. गोरखपुर नगर निगम 1.10 लाख तिरंगा लगवाने का दावा कर रहा है. इसे देखते हुए बाजार में तिरंगे की मांग बढ़ गई है.

सरकार ने रखी शर्त

हर वर्ष खादी ग्राम उद्योग के बनाए गए झंडे की ज्यादा मांग होती है. हर सरकारी दफ्तरों एवं विभागों पर खादी विभाग द्वारा बनाए गए झंडे ही दिखाई देते हैं क्योंकि यह हाथ से काते गए सूत द्वारा तैयार किए गए खादी के कपड़े द्वारा निर्मित होते हैं. इस वर्ष भी गोरखपुर खादी ग्राम उद्योग ने झंडे बनाने शुरू कर दिए हैं. विभाग के सेक्रेटरी विश्वेश्वर नाथ तिवारी का कहना है कि हम लोगों ने झंडे बनाना शुरू कर दिया है. लगभग 6000 झंडे बनाने का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की तरफ से अभी तक हमें कोई ऑर्डर नहीं मिला है. मगर उत्तर प्रदेश खादी ग्राम उद्योग की सचिव का एक लेटर आया था. इसमें प्रदेश सरकार ने खादी ग्रामोद्योग से ही झंडे खरीदने की बात कही है.

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गोरखपुर और बगल की जिलों में विभिन्न महिला संगठनों ने तिरंगे का ऑर्डर लिया है. छोटे स्तर पर संचालित रेडीमेड गवर्नमेंट की यूनिट में इन दिनों तिरंगे की सिलाई हो रही है. गोरखनाथ क्षेत्र में रहने वाले आबिद को 18000 तिरंगे बनाने का ऑर्डर मिला है. आबिद बताते हैं कि 20×30 इंच के तिरंगे का ऑर्डर गाजीपुर जिले से मिला है और एक झंडे की लागत 22 से लेकर 30 रुपये के बीच पड़ती है. गांधी आश्रम में सबसे कम कीमत का तिरंगा 300 रुपये का है जबकि टेलर से लेकर सामूहिक महिलाओं द्वारा बड़ी संख्या में तिरंगे की सिलाई की जा रही है. गांधी आश्रम और बाजार में मिल रहे तिरंगे की कीमतों में काफी अधिक अंतर है.

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झंडे की डिमांड सबसे ज्यादा

खादी आश्रम का तिरंगा सबसे सस्ता 300 रुपये का है जबकि बाजार में तिरंगा 25 से 100 रुपये में उपलब्ध है. गांधी आश्रम के बने झंडे हाथ से काटे गए सूत के कपड़ों से निर्मित होते हैं. आजादी के बाद से पूरे भारतवर्ष में यही झंडे इस्तेमाल किए जाते रहे हैं क्योंकि इसे बनाने में लागत थोड़ी ज्यादा होती है. इसलिए झंडे महंगे भी होते हैं. गांधी आश्रम में 75 ×45 साइज का झंडा सबसे छोटा होता है. इसी झंडे की डिमांड सबसे ज्यादा होती है.

रिपोर्ट : कुमार प्रदीप

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