Hartalika Teej Vrat: हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को होता है. सुहागिन महिलाएं यह व्रत करती हैं. ऐसी मान्यता है कि विधि-विधान से हरतालिका तीज का व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है. इस व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, नियम, पारण का तरीका जानना बहुत जरूरी है.
हरतालिका तीज का व्रत महिलायें बिना कुछ खाये -पिये रखती हैं. यह व्रत शक्ति का एक अनुपम उदाहरण है. माता पार्वती ने जगत को दिखाया की शक्ति के सामने ईश्वर भी झुक जाते हैं. हरतालिका पूजन प्रदोष काल में किया जाता है. प्रदोष काल अर्थात दिन रात के मिलने का समय. हरतालिका पूजन के लिए शिव, पार्वती, गणेश एव रिद्धि सिद्धि जी की प्रतिमा बालू रेत अथवा काली मिट्टी से बनाई जाती है.
इस पूजा में विविध पुष्पों से सजाकर उसके भीतर रंगोली डालकर उस पर चौकी रखी जाती है. चौकी पर एक अष्टदल बनाकर उस पर थाल रखते हैं. थाल में केले के पत्ते को रखते हैं. सभी प्रतिमाओं को केले के पत्ते पर रखा जाता है. कलश के ऊपर नारियल रखकर लाल कलावा बांध कर पूजन किया जाता है.
कलश रखने के बाद गणेश जी की पूजा की जाती है. उसके बाद शिव जी की पूजा जी जाती है. फिर माता गौरी की पूजा की जाती है. उन्हें सम्पूर्ण श्रृंगार चढ़ाया जाता है. इसके बाद अन्य देवताओं का आह्वान कर पूजन किया जाता है. प्रातः अंतिम पूजा के बाद माता गौरी को सिंदूर चढ़ाया जाता है. उस सिंदूर से सुहागन स्त्री सुहाग लेती हैं. ककड़ी व हलवे का भोग लगाया जाता है. उसी ककड़ी को खाकर उपवास तोड़ा जाता है.
हरितालका पूजा महूर्ति हरतालिका पूजन प्रातःकाल ना करके रात्रि में करें तो उत्तम रहता है. रात्रि 8: 20 मिनट तक शुभ समय है. इस समय तक प्रदोष काल रहेगा. इसमें भगवान शंकर का पूजन करें तो शुभ फल की प्राप्ति होगी.