उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है. पहले और दूसरे चरण के बाद आज तीसरे चरण का मतदान खत्म हो चुका है. शाम 5 बजे तक 57.61 फीसदी वोटिंग हुई.
आरक्षित हाथरस निर्वाचन क्षेत्र में हाथरस कांड की गूंज अब भी सुनी जा रही है. बीजेपी ने आगरा की पूर्व मेयर अंजुला महौर को मैदान में उतारा है. यह उनका पहला विधानसभा चुनाव है. महौर की उम्मीदवारी का स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं ने विरोध भी किया था. मौजूदा विधायक हरिशंकर महार को हटाने से वह नाराज थे. लेकिन मौजूदा विधायक ने बाद में अंजुला महौर को पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया.
सपा ने यहां रालोद के साथ गठबंधन वाले प्रत्याशी ब्रज मोहन राही को चुना है. वहीं, कुलदीप कुमार सिंह कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. बसपा ने संजीव कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है और आम आदमी पार्टी ने किशन सिंह को टिकट दिया है. सभी प्रत्याशी भाजपा के खिलाफ हाथरस कांड को लेकर वोट न देने की अपील कर रहे हैं. हालांकि, यह चुनावी दांव कितना सफल होता है, यह तो देखने वाली होगी. जो 10 मार्च के बाद उजागर हो ही जाएगी.
हाथरस (सुरक्षित) विस क्षेत्र संख्या- 78
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भाजपा- अंजुला माहौर
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सपा- ब्रजमोहन राही
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बसपा- संजीव कुमार
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कांग्रेस- कुलदीप सिंह
भाजपा- रामवीर उपाध्याय
रालोद- प्रदीप चौधरी गुड्डू
बसपा- डॉ. अविन शर्मा
कांग्रेस- मथुरा प्रसाद कुशवाहा
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भाजपा- वीरेंद्र सिंह राणा
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सपा- डॉ. ललित बघेल
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बसपा- ठा. अवधेश सिंह
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कांग्रेस- छवि वाष्णेय
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परिसीमन के बाद हाथरस को सुरक्षित सीट कर दिया गया.
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2012 में बसपा से गेंदालाल चौधरी ने भाजपा के राजेश दिवाकर को हराया था.
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2017 में भाजपा के हरिशंकर माहौर ने बसपा के बृजमोहन राही को शिकस्त दी थी.
हाथरस सीट से हरिशंकर माहौर बीजेपी के मौजूदा विधायक हैं. उनका जन्म 1956 में हाथरस शहर में हुआ था. उन्होंने एमए, एलएलबी करके वकालत भी की है. 1989 में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की. वो सासनी विधानसभा से 1991, 1993, 1996 में विधायक बने थे.
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ठाकुर- 49 हजार
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वैश्य- 42 हजार
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धोबी- 26 हजार
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मुस्लिम- 20 हजार
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जाटव- 29 हजार
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ब्राह्मण- 42 हजार
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जाट- 15 हजार
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कोली- 9 हजार
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वाल्मीकि- 6 हजार
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बघेल- 15 हजार
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कुशवाहा- 24 हजार
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नाई- 5 हजार
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खटीक- 2 हजार
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कश्यप- 5 हजार
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दर्जी- 2 हजार
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कुम्हार- 4 हजार
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पंजाबी- 4 हजार
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यादव- 3 हजार
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अन्य- 7 हजार
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हाथरस विधानसभा में मतदाता
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कुल मतदाता- 4,15,992
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पुरुष- 2,23,217
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महिला- 1,92,090
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अन्य- 5
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मेडिकल कॉलेज या बड़ा अस्पताल नहीं है.
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बड़ी इंडस्ट्री नहीं होने से युवाओं का पलायन.
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छुट्टा पशुओं से परेशानी जारी है.