HBTU में पहली काउंसिलिंग में 8 तक जमा करनी होगी फीस, जेईई मेन की रैंक के आधार पर होगा दाखिला
एचबीटीयू की ओर से काउंसिलिंग शेड्यूल आधिकारिक वेबसाइट पर जारी कर दिया गया है. विवि में 30 सितंबर तक रजिस्ट्रेशन होगा. 4 अक्टूबर से सीट का आवंटन शुरू हो जाएगा. 5 से 8 अक्टूबर तक पहली काउंसिलिंग में सीट की फीस जमा करनी होगी. 11 अक्टूबर से दूसरी काउंसिलिंग शुरू होंगी.
Kanpur News: हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (HBTU) में जेईई मेन की रैंकिंग के आधार पर दाख़िले शुरू हो गए हैं. एचबीटीयू की ओर से काउंसिलिंग शेड्यूल आधिकारिक वेबसाइट पर जारी कर दिया गया है. विवि में 30 सितंबर तक रजिस्ट्रेशन होगा. 4 अक्टूबर से सीट का आवंटन शुरू हो जाएगा. 5 से 8 अक्टूबर तक पहली काउंसिलिंग में सीट की फीस जमा करनी होगी. 11 अक्टूबर से दूसरी काउंसिलिंग शुरू होंगी.
फीस में हुई कटौती
संस्थान की ओर से जारी की गई विज्ञप्ति के अनुसार, एचबीटीयू में जेईई मेन की रैंकिंग के आधार पर ही दाखिला दिया जा रहा है. जेईई मेन का परिणाम जारी होने के बाद विवि प्रशासन ने बैठक की. बैठक ने दाख़िले के तैयारी पर मुहर लगा दी है. पिछले वर्ष एचबीटीयू में प्रवेश के लिए छात्रों को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी. इस बार ऐसा न हो इसलिए विवि प्रशासन ने फीस में भी कटौती की है.
Also Read: बरेली में चार्जिंग में लगे मोबाइल की बैट्री में ब्लास्ट, चारपाई पर सो रही 8 माह की बच्ची की झुलसने से मौत
पीएचडी में घटी सीट
एचबीटीयू के वीसी प्रो शमशेर का कहना है की बीटेक के लिए अक्टूबर में काउंसिलिंग होगी. सीट भरने की प्रकिया पूरे अक्टूबर तक चलेगी. नवम्बर के पहले सप्ताह से क्लास लगेगी. वहीं, पीएचडी में एक तिहाई सीट को घटा दिया गया है.
क्या है HBTU का इतिहास?
यहां यह जानना जरूरी है कि HBTU कानपुर में एक प्रमुख स्टेेट टेक्निकल यूनिवर्सिटी है. एचबीटीयू का नाम ब्रिटिश भारत में संयुक्त प्रांत के गवर्नर सर स्पेंसर हरकोर्ट बटलर के नाम पर रखा गया था. इसके कार्यक्रमों को विश्वविद्यालय के अंतर्गत स्वायत्त दर्जा प्रदान किया गया है. यह देश के सबसे पुराने इंजीनियरिंग संस्थानों में से एक है. इसके पास आईएसओ 9001:2000 सर्टिफिकेट है. यह इंजीनियरिंग, प्राकृतिक विज्ञान और मानविकी में स्नातक, परास्नातक और डॉक्टरेट कार्यक्रमों के साथ-साथ कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) में परास्नातक कार्यक्रम प्रदान करता है. इसे अब उत्तर प्रदेश टेक्स्टाइल टेक्नोलॉजी के रूप में जाना जाता है.
रिपोर्ट : आयुष तिवारी