Gorakhpur: फर्जी डॉक्टर की गिरफ्तारी के बाद हरकत में आया स्वास्थ्य विभाग, 887 रजिस्टर्ड अस्पतालों की सूची जारी
सीएमओ आशुतोष कुमार दुबे ने बताया कि हॉस्पिटल का पंजीकरण कराने के बाद गायब रहने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और उनके अस्पताल से गायब रहने की सूचना राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद को भी दी जाएगी. जिले में फर्जी चिकित्सक के पकड़े जाने का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य महकमा हरकत में आया है.
Gorakhpur: गोरखपुर में कई ऐसे अस्पताल, नर्सिंग होम, डायग्नोस्टिक, पैथोलॉजी सेंटर चल रहे हैं जिनके पंजीकृत डॉक्टर के नाम से एक या कई अस्पताल हैं. इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को ही नहीं है. ऐसे में संबंधित डॉक्टर की जगह डिग्री के अभाव में किसी अन्य के इलाज करने के कारण मरीजों की जान पर हर समय खतरा मंडराता रहता है. जिले में ऐसे ही एक फर्जी चिकित्सक के पकड़े जाने के बाद सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दुबे ने 887 वैध अस्पतालों, निजी नर्सिंग होम, डायग्नोस्टिक व पैथोलॉजी सेंटर और क्लीनिक की सूची जारी है. स्वास्थ्य महकमे के मुताबिक इसके अलावा अगर कोई अस्पताल संचालित है तो वह अवैध है.
सीएमओ आशुतोष कुमार दुबे ने बताया कि हॉस्पिटल का पंजीकरण कराने के बाद गायब रहने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और उनके अस्पताल से गायब रहने की सूचना राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद को भी दी जाएगी. मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के अधीक्षक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को उनके क्षेत्र के अस्पताल, नर्सिंग होम, डायग्नोस्टिक सेंटर, पैथोलॉजी, एक्स-रे सेंटर और क्लीनिक की सूची दे दी गई है. उन्हें निर्देशित कर दिया गया है कि सूची के अलावा अगर कोई स्वास्थ्य केंद्र चल रहा है तो वह अपने क्षेत्र के मजिस्ट्रेट, क्षेत्राधिकारी और संबंधित थाना प्रभारी से संपर्क कर उनके खिलाफ कार्रवाई करें.
दरअसल जिले में फर्जी चिकित्सक के पकड़े जाने का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य महकमा हरकत में आया है. गोरखपुर के एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया कि गुलरिहा थाना क्षेत्र के भटहट में सत्यम हॉस्पिटल वर्षों से अवैध रूप से संचालित किया जा रहा था. हॉस्पिटल संचालक रंजीत निषाद बिना किसी डिग्री के डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन पर मरीजों का उपचार कर रहा था.
एसएसपी ने बताया कि रंजीत निषाद इंटर पास है और वह खुद को डॉक्टर बताता था. मरीजों को उपचार करने के साथ ही उनका ऑपरेशन भी करता था. एसएसपी ने बताया कि अस्पताल के बोर्ड पर और पैड पर कई डॉक्टरों के नाम हैं जिन्हें पुलिस ने नोटिस भेजा है. एसएसपी ने बताया कि बीते 3 जनवरी को उसकी लापरवाही से एक गर्भवती की मृत्यु भी हो गई थी, जिसके बाद उस पर पुलिस ने गैर इरादतन हत्या जालसाजी और 15 (3) इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.
कैसे होता है पंजीकरण
अस्पतालों, नर्सिंग होम, डायग्नोस्टिक व पैथोलॉजी सेंटर और क्लीनिक का पंजीकरण कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग में आवेदन करना होता है. डॉक्टर के प्रमाण पत्र, शपथ पत्र, अस्पताल परिसर में अग्निशमन विभाग व प्रदूषण विभाग की एनओसी, बेड व उपकरणों की व्यवस्था के साथ आवेदन आता है.
सीएमओ कार्यालय में पूरे कागज की जांच के बाद जिस डॉक्टर का प्रमाण पत्र आवेदन के समय लगा होता है, उन्हें सीएमओ कार्यालय में बुलाया जाता है और डॉक्टर के दस्तखत कराए जाते है. इसके बाद सीएमओ कार्यालय से प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है.पंजीकरण के समय डॉक्टर से पूर्णकालिक रूप से अस्पताल में काम करने की शपथ ली जाती है. जो डॉक्टर अंशकालिक काम करने को कहता है, उसके नाम से पंजीकरण नहीं होता है.
रिपोर्ट –कुमार प्रदीप, गोरखपुर