Lucknow: नये बन रहे मेडिकल कॉलेजों से स्वास्थ्य विभाग की नर्सों को रिलीव करने के मामले में राजकीय नर्सेज संघ ने नाराजगी जतायी है. इस मामले में संघ ने महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य को पत्र लिखकर आपत्ति दर्ज करा दी है. संघ का आरोप है कि जिला चिकित्सालयों से मेडिकल कॉलेज बनाये गये देवरिया, बस्ती, दर्शन नगर से स्वास्थ्य विभाग की नर्सों को एकतरफा रिलीव किया जा रहा है. जबकि पुराने मेडिकल कॉलेजों में आज भी स्वास्थ्य विभाग की नर्सें कार्य कर रही हैं.
राजकीय नर्सेस संघ के महामंत्री अशोक कुमार ने महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य को भेजे पत्र में लिखा है कि चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत नर्सिंग संवर्ग के लोगों को यह कहकर वापस स्वास्थ्य विभाग भेजा जा रहा है कि यह मेडिकल कॉलेज बन गया है. यहां पर आप लोगों की आवश्यकता नहीं है. आपको वापस आपके स्वास्थ्य विभाग में भेजा जा रहा है. ऐसे लोग लगभग 6 माह से स्वास्थ्य भवन में अपनी पोस्टिंग के लिए इंतजार कर रहे हैं. स्थिति यह है कि 31 मार्च तक सभी नर्सों को रिलीव करने की तैयारी मेडिकल कॉलेजकर रहे हैं.
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उन्होंने बताया कि अंबेडकरनगर, आजमगढ़, कन्नौज, उरई, बांदा, सहारनपुर में भी मेडिकल कॉलेज बने हैं. वहां पर जिला चिकित्सालय को ना तो समाप्त किया गया है और ना ही वहां के स्टाफ नर्स को हटाया गया है. इन जनपदों में जिला चिकित्सालय भी पूर्व की भांति क्रियाशील है. परंतु इस समय सरकार जो भी मेडिकल कॉलेज बना रही है, वहां पर इस तरह की स्थिति पैदा होने से लोगों में काफी आक्रोश भी व्याप्त हो रहा है. साथ ही उन जनपदों में चिकित्सा व्यवस्था का हाल भी चिंताजनक है.
महामंत्री अशोक कुमार ने बताया कि किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ में अभी भी चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग की नर्सेज कार्य कर रही हैं. जबकि केजीएमयू भी स्वयं नर्सेज की नियुक्ति कर रहा है. इसके अलावा गोरखपुर, कानपुर, मेरठ, आगरा, झांसी मेडिकल कॉलेज में भी चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग की नर्सेज लगातार अपनी सेवाएं दे रही हैं. स्वास्थ्य विभाग इनकी पदोन्नति, नियुक्ति व अन्य सभी कार्य करता है.
राजकीय नर्सेस संघ ने महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य से निवेदन किया है कि शासन एवं केजीएमयू के साथ जो निर्णय हुआ था, उसको ध्यान में रखते हुए सभी नर्सों को जिला चिकित्सालय में कार्य करने दिया जाये. यदि नये मेडिकल कॉलेजों से कार्यमुक्त करना ही जरूरी है तो सभी को पद सहित वापस चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में भेजा जाये. जिससे सभी का समायोजन समान रूप से आसानी से हो सके. यदि ऐसा न किया गया तो नर्सेस संघ किसी भी स्तर पर आंदोलन के लिए बाध्य होगा, जिसकी जिम्मेदारी शासन व प्रशासन की होगी.
राजकीय नर्सेस संघ के महामंत्री अशोक कुमार ने स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली के मामले में एक उदाहरण देते हुये बताया कि बहराइच में एक विधायक स्वयं प्रिंसिपल से मिलकर शिकायत कर रहे थे कि उनकी भाभी वहां एडमिट हुई थी. उनको एक इंजेक्शन कोई नहीं लगा पाया. जबकि एक डॉक्टर के साथ 5 लोग वहां कार्यरत थे. सुबह जब मुख्य डॉक्टर को बुलाया गया तो वह माफी मांग रहे थे.