Varanasi News: ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण सुनवाई योग्य है या नहीं इस पर मंगलवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई हुई. अदालत में बहस हुई. हिंदू पक्ष की राखी सिंह के अधिवक्ता शिवम गौड़ ने अपना पक्ष रखते हुए स्पष्ट किया कि श्रृंगार गौरी प्रकरण में कोई एक्ट लागू नहीं होता क्योंकि 1993 तक श्रृंगार गौरी की पूजा हुई है. वहां का धार्मिक स्वरूप सनातन धर्म का ही था. वर्ष 1993 में सरकार ने अचानक बैरिकेडिंग लगाकर नियमित दर्शन और पूजा बंद करा दी थी. कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 21 जुलाई तय की है.
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मंगलवार को हुई सुनवाई के बारे में हिंदू पक्ष के अधिवक्ता शिवम गौड़ ने बताया कि वादी संख्या 2 की तरफ से दोबारा बहस चालू करने का प्रयास किया गया लेकिन कोर्ट ने थोड़ा सा समय देकर उनकी बहस को सुना और पूरा किया. उसके बाद में वादी संख्या 1 की तरफ से हिंदू पक्ष के अधिवक्ता शिवम गौड़ ने अपनी बहस जारी रखी. विश्वनाथ एक्ट, प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट और वक्फ एक्ट को लेकर जो व्यूज कोर्ट में पहले पेश किया गया था. हमने आज उसी को मेंटेन किया है. काशी विश्वनाथ एक्ट, प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट और वक्फ एक्ट या किसी अन्य एक्ट के प्रावधान मां शृंगार गौरी प्रकरण में लागू नहीं होते हैं. उन्होंने कहा कि हमारा ज्ञानवापी की किसी जमीन पर कोई दावा नहीं है. हमारा दावा सिर्फ मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन और पूजा के लिए है. उन्होंने बताया कि अब जो कुछ भी अन्य प्वाइंट्स बाकी रह गए हैं, उसे 21 जुलाई के दिन कन्क्लूड किया जाएगा.
समाचार एजेंसी एएनआई से श्रृंगार गौरी मामले में हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि इतनी लंबी सुनवाई की कोई आवश्यकता नहीं है, वही तर्क दोहराए जाते हैं, हमें अब यह निष्कर्ष निकालना चाहिए. इस तरह के तर्कों में बहुत समय बर्बाद किया जा रहा है. कोर्ट ने अब 21 को नई तारीख दी है. वहीं, मुस्लिम पक्ष के वकील तौहीद खान ने कहा कि हिंदू पक्ष हर समय यही बात दोहराता है. यह श्रद्धांजलि एक मस्जिद की है, संरचना एक मस्जिद की है, नमाज अदा की जा रही है और हम इस तर्क को अदालत के सामने पेश करेंगे.
रिपोर्ट : विपिन सिंह