हाईकोर्ट ने अनाथ नाबालिग से दुष्कर्म को बताया जघन्य अपराध, आरोपी जीजा-मौसा को जमानत देने से किया इनकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी जीजा और मौसा को जमानत देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने इस घटना को जघन्य अपराध बताते हुए याचिका को खारिज कर दिया है.

By Prabhat Khabar News Desk | March 18, 2022 9:31 AM
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Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म मामले में आरोपी जीजा और मौसी को जमानत देने से इंकार कर दिया. जस्टिस संजय कुमार सिंह ने नरेश उर्फ और तेजपाल की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि, इनका अपराध जघन्य है. यह स्त्री की निजता और सुचिता का हनन करने वाला अपराध बताया और जमानत अर्जी खारिज कर दी.

पीड़ित बच्चियों ने अध्यापिका को बताई आपबीती

घटना के संबंध में 10 और 11 वर्ष की नाबालिग पीड़िता अपने माता-पिता के निधन के बाद अपने जीजा के घर रहने लगी. इस दौरान पीड़ित बच्चियों ने अपनी मौसी को बताया कि मौसा और जीजा उनके साथ गलत कृत्य करते हैं. लेकिन मौसी ने इस मामले में कुछ नहीं किया. दोनों अनाथ नाबालिक लड़कियां कस्तूरबा गांधी इंटर कॉलेज बुलंदशहर की छात्रा है.

पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किया गया मामला

मौसी से मदद न मिलने के बाद लड़कियों ने अपनी आपबीती अध्यापिका को बताई. इसके बाद अध्यापिका ने मामले की सूचना बाल कल्याण समिति को दी. 4 दिसंबर, 2021 को समिति ने पीड़िताओं को सखी संस्था में रखा, और दुराचार और पाक्सो एक्ट के तहत बुलंदशहर के काकोर थाने में FIR दर्ज कराई गई .

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सीजीएम कोर्ट ने खारिज कर दी जमानत अर्जी

पुलिस ने आरोपी जीजा और मौसा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया. आरोपियों ने सीजेएम कोर्ट के समक्ष जमानत अर्जी पेश की, कोर्ट ने पीड़ित लड़कियों के बयान पर जमानत अर्जी खारिज कर दी. याचियों का कहना था कि जमीन की लालच में उन्हें झूठा फंसाया गया है. जिसपर कोर्ट कोर्ट ने कहा कि 10 और 11 साल की बच्चियों द्वारा झूठा फंसाने का सवाल ही नहीं है.

अपराध की गंभीरता को देखते हुए खारिज की जमानत अर्जी

वहीं, डाक्टरों ने अपनी रिपोर्ट में रेप की संभावना से इंकार नहीं किया, मेडिकल रिपोर्ट में पीड़िता का हाइमन फटा पाया गया, जो जुड़ गया है. कोर्ट ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत अर्जी खारिज कर दी.

रिपोर्ट- एसके इलाहाबादी

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