Lucknow: सहायक अध्यापकों की नियुक्ति को निरस्त करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ ने बड़ा फैसला किया है. हाईकोर्ट ने नियुक्ति निरस्त करने के सरकार के आदेश को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को ध्यान में रखते हुए अभ्यर्थियों के मामले पर पुनर्विचार करने के निर्देश दिये हैं.
यह आदेश न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की एकल पीठ ने विजय गुप्ता व अन्य अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया. याचियों द्वारा न्यायालय को बताया गया कि सहायक अध्यापक परीक्षा 2019 में उनका चयन हुआ था. लेकिन, बाद में ऑनलाइन एप्लीकेशन फॉर्म में गलत जानकारी भरने के आधार पर उनका चयन व उम्मीदवारी निरस्त करते हुए, वसूली का आदेश दिया गया था.
याचियों की ओर से न्यायालय को यह भी बताया गया कि निरस्तीकरण का आदेश पारित करने से पूर्व विभाग को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों के आलोक में यह देखना चाहिए था कि तथाकथित गलत जानकारी से अभ्यर्थी को कोई लाभ हो रहा था अथवा नहीं. कहा गया कि इस तथ्य को देखे बिना मात्र त्रुटिपूर्ण एप्लीकेशन फॉर्म भरे जाने के आधार पर उनकी नियुक्ति निरस्त कर दी गई.
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हाईकोर्ट ने भी सर्वोच्च न्यायालय के दो निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि यदि गलत जानकारी मात्र त्रुटिवश भर दी गई है और इससे अभ्यर्थी को कोई लाभ नहीं हो रहा तो उसकी उम्मीदवारी को निरस्त नहीं किया जाना चाहिए. हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि अभ्यर्थियों के मामलों पर आठ सप्ताह में पुन: विचार कर निर्णय किया जाए. इसके साथ ही न्यायालय ने अभ्यर्थियों द्वारा राज्य सरकार के वसूली के आदेश को भी खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट के इस फैसले से अभ्यर्थियों को बड़ी राहत मिली है.