Lucknow News: राजधानी लखनऊ के हजरतगंज इलाके में स्थिति लेवाना सुइट्स होटल में हुए अग्निकांड में चार लोगों की मौत के बाद एलडीए की कार्रवाई का सिलसिला जारी है. फिलहाल, होटल को सील कर दिया गया है. इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने होटल में हुए अग्निकांड पर स्वतः संज्ञान लिया है.
कोर्ट ने मामले को जनहित याचिका के तौर पर दर्ज करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही एलडीए वीसी (लखनऊ विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष) से शहर की उन सभी इमारतों का ब्यौरा तलब किया है, जिनके पास दमकल विभाग का परमिट नहीं है. कोर्ट ने मुख्य अगिनशमन अधिकारी से भी उन सभी इमारतों का ब्यौरा तलब किया है, जिनमें आग लगने की स्थिति में बाहर निकलने के रास्ते और आवश्यक उपकरण नहीं लगे हैं.
यह आदेश जस्टिस राकेश श्रीवास्तव और जस्टिस बृजराज सिंह की बेंच ने ‘लेवाना सुइट्स होटल में आग लगने की घटना’ पर स्वत: संज्ञान लेते हुए उसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज करते हुए उक्त आदेश पारित किया है. अदालत ने अपने आदेश में छह सितंबर को हजरतगंज में ही ग्रेविटी क्लासेज नाम के कोचिंग संस्थान के भवन में आग लगने की घटना का भी जिक्र किया है.
दरअसल, जिस जमीन पर लेवाना होटल बना है वहां पहले पीके भवन हुआ करता था. पीके भवन में बीएसएनएल का दफ्तर था. बाद में बीएसएनएल का दफ्तर वहां से शिफ्ट कर दिया गया. इसकी जगह पर होटल भी खोल दिया गया. एलडीए की ओर से भी कुछ नहीं किया गया. प्राधिकरण के प्रवर्तन जोन के अधिकारियों और इंजीनियरों ने ही इस होटल का निर्माण करवाया. नक्शा न पास होने के बावजूद इन लोगों ने होटल के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई थी.
लखनऊ कमिश्नर की जांच रिपोर्ट में मिली खामियों के अनुसार होटल प्रबंधन ने NOC के लिए ही निकासी के लिए लोहे की सीढ़ियां लगवा दी थीं. इसके अलावा धुआं निकलने की व्यवस्था नहीं थी. और न ही वहां के कर्मचारियों को आग बुझाने की ट्रेनिंग दी गई. होटल जिस जमीन पर चल रहा था, उसका नक्शा तक पास नहीं था. LDA की रिपोर्ट के मुताबिक, जहां पर होटल बना है, वह आवासीय भूमि थी.