Holi 2022: धधकती आग में कूद गया पंडा, मथुरा में होलिका दहन के इस नजारे को देखकर आप भी रह जाएंगे दंग
Holi 2022: ब्रज क्षेत्र के कोसीकला क्षेत्र के फालैन गांव में होलिका दहन के दिन एक पंडा जलती हुई होली से गुजरता है. इसी पल को देखने के लिए और उस का आनंद उठाने के लिए देश-विदेश से लोग यहां पर आते हैं.
Holi 2022: होली एक ऐसा त्योहार है जिसे पूरे देश में सभी धर्मों द्वारा बड़े हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है. ज्यादातर लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर त्योहार मनाते हैं और पानी से खेलते हैं. लेकिन अलग-अलग जगहों में इसे मनाने के कई अनोखे तरीके हैं. उत्तर प्रदेश के मथुरा (Mathura News) स्थित छाता तहसील के फालेन गांव में होलिका दहन (Holika Dahan) के मौके पर एक अलग ही नजारा दिखा. यहां एक शख्स होलिका दहन की धधकती आग में कूद गया और सकुशल बाहर निकल आया. इस घटना का वीडियो देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे.
दिनांक 17-03-2022 रात्रि को फालैन गाँव में जलती होली से निकलते हुए पंडा के कुछ आकर्षक द्रश्य।
.
To know more about this follow Uttar Pradesh Braj Teerth Vikas Parishad or visit our website and head to our YouTube Channel for the same! pic.twitter.com/mcA6ZdAlly— Uttar Pradesh Braj Teerth Vikas Parishad (@BrajTeerth) March 18, 2022
ब्रजमंडल की होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है ऐसे में कई गांव ऐसे हैं जहां की होली का अलग ही रंग और अलग ही महत्व है. बता दें कि ब्रज क्षेत्र के कोसीकला क्षेत्र के फालैन गांव में होलिका दहन के दिन एक पंडा जलती हुई होली से गुजरता है. इसी पल को देखने के लिए और उस का आनंद उठाने के लिए देश-विदेश से लोग यहां पर आते हैं. इस गांव में न तो कोई होटल है और न ही कोई धर्मशाला. ऐसे में गांव में आने वाले मेहमानों की खातिरदारी गांव के ही लोग करते हैं. गांव के प्रधान कैलाश सूपानिया का कहना है कि गांव में करीब 2000 परिवार रहते हैं. गांव में आने वाले मेहमान इन्हीं लोगों के घर में रुकते हैं.
Also Read: Gorakhpur News: होली के जुलूस में शामिल होंगे सीएम योगी आदित्यनाथ, अबीर-गुलाल उड़ाकर मनाएंगे जीत का जश्न
पुरानी है परंपरा
आपको बता दें इससे पहले पालन गांव को प्रह्लाद नगरी भी कहा जाता था और यहां प्रहलाद का एक मंदिर भी स्थित है. वहीं इस गांव में पंडा समाज के करीब 50 से 60 परिवार रहते हैं और करीब 20 परिवार के लोग जलती हुई होलिका में से निकलने की परंपरा को निभाते हुए चले आ रहे हैं. इस परंपरा के लिए हर साल एक पंडा का चयन किया जाता है. होलिका दहन से करीब 1 महीने पहले ही वह पंडा मंदिर में कठिन तप करता है, जिसके बाद वह होली के दिन धधकती हुई आंख के ऊपर से गुजरता है. इस बार यह परंपरा गांव के मोनू पंडा निभा रहे हैं.