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World Population Day: यूपी में नई जनसंख्‍या नीति 2021-2030 कितनी कारगर, एक साल बाद कितना तय हुआ लक्ष्‍य?

11-19 वर्ष के किशोरों की शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण के बेहतर प्रबंधन के अलावा बुजुर्गों की देखभाल के लिए व्यापक प्रबंध किए करने का भी लक्ष्‍य नई जनसंख्‍या नीति में रखा गया था. स्कूलों में 'हेल्थ क्लब' बनाने के अलावा नवजात शिशुओं, किशोरों और बुजुर्गों की डिजिटल ट्रैकिंग की व्यवस्था करने के निर्देश.

By Neeraj Tiwari | July 10, 2022 10:45 PM
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World Population Day 2022: विश्‍व जनसंख्‍या दिवस के तहत आज पूरी दुन‍िया में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. बढ़ती जनसंख्‍या का हमारी बढ़ती जरूरतों से सीधा संबंध में है. जरूरी है कि उपलब्‍ध प्राकृतिक संसाधनों के मुताबिक ही जनसंख्‍या को नियंत्र‍ित किया जाए. साल 2021 में यूपी के सीएम योगी आद‍ित्‍यनाथ ने विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर 2021-2030 के लिए नई जनसंख्या नीति (New Population Policy) जारी की थी. नई जनसंख्या नीति में जन्म दर को 2026 तक प्रति हजार जनसंख्या पर 2.1 और 2030 तक 1.9 तक लाने का लक्ष्य रखा गया है. वर्तमान में यूपी की कुल प्रजनन दर वर्तमान में 2.7 प्रतिशत है.

नई जनसंख्या नीति में क्‍या है खास?

जब नई जनसंख्या नीति को साल 2021 में जारी किया गया था तब सीएम योगी ने कहा था, ‘राज्य में जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए दो बच्चों के बीच अंतर होना चाहिए. बढ़ती जनसंख्या ‘विकास में बाधक’ है. इसे नियंत्रित करने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है.’ प्रस्तावित नीति के माध्यम से परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जारी गर्भनिरोधक उपायों की सुलभता बढ़ाने तथा सुरक्षित गर्भपात के लिए उचित व्यवस्था उपलब्ध कराने के प्रयास करने का लक्ष्‍य रखा गया था. यह दो बच्चों की नीति को भी बढ़ावा देता है. इसके उल्लंघन का मतलब होगा कि लोगों को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने, सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने या कोई सरकारी सब्सिडी प्राप्त करने से वंचित कर दिया जाएगा. 11 से 19 वर्ष के किशोरों की शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण के बेहतर प्रबंधन के अलावा बुजुर्गों की देखभाल के लिए व्यापक प्रबंध किए करने का भी लक्ष्‍य नई जनसंख्‍या नीति में रखा गया था. स्कूलों में ‘हेल्थ क्लब’ बनाने के निर्देश के अलावा नवजात शिशुओं, किशोरों और बुजुर्गों की डिजिटल ट्रैकिंग की व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए गए थे. हालांकि, राज्‍य सरकार की इन तमाम ऐलानों का जमीनी स्‍तर पर अभी कोई बड़ा प्रभाव नहीं दिख रहा है.

जानें क्‍या कहते हैं आंकड़े?

  • विश्व की जनसंख्या लगभग 7.7 बिलियन है, और इसके 2030 में लगभग 8.5 बिलियन, 2050 में 9.7 बिलियन और 2100 में 10.9 बिलियन तक बढ़ने की आशंका है.

  • बढ़ती जनसंख्‍या के चलते आर्थिक विकास, रोजगार, आय वितरण, गरीबी और सामाजिक सुरक्षा पर व्‍यापक असर पड़ता है.

  • स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, आवास, स्वच्छता, पानी, भोजन और ऊर्जा आद‍ि का सबको लाभ देना भी बड़ा संकट है.

  • भारत में विश्‍व का मात्र 2 प्रतिशत भूभाग है. वहीं, ग्‍लोबल पॉपुलेशन यानी वैश्‍व‍िक जनसंख्या का 16 फीसद हिस्‍सा समाह‍ित है. यह आंकड़ा ही चिंता बढ़ाने वाला है.

  • एक सर्वे रिपोर्ट का तो यहां तक मानना है कि भारत जल्द ही चीन की आबादी (सबसे बड़ी आबादी वाला देश) से आगे निकल जाएगा.

  • उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य और क्षेत्रफल की दृष्टि के आधार पर चौथा सबसे बड़ा राज्य है.

  • यूपी में सबसे अध‍िक जनसंख्‍या वाला जिला प्रयागराज और सबसे कम जनसंख्‍या वाला राज्‍य महोबा है.

  • उत्तर प्रदेश का घनत्व 829 प्रति वर्ग किमी है जो राष्ट्रीय औसत 382 प्रति वर्ग किमी से अधिक है.

यूपी में घट रहा प्रजनन दर

यूपी में 17 वर्षों में प्रजनन दर घटी है. 1999 में उत्तर प्रदेश में प्रजनन दर 4.06 फीसदी थी जो 2016 में घटकर 2.7 फीसदी हो गई. जबकि इसी अवधि के दौरान भारत में केवल 0.7 की गिरावट आई है. उत्तर प्रदेश की नई जनसंख्या नीति के अनुसार, प्रस्तावित जन्म दर को प्रदेश में 2026 तक 2.1% तक लाने का लक्ष्य रखा गया है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के अनुसार यूपी की जन्म दर अभी 2.7% है, जो राष्ट्रीय औसत से 2.2% से अधिक है. इसे 2030 तक 1.9% तक लाने का लक्ष्य है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2020-21 के आंकड़ों के अनुसार परिवार नियोजन के प्रति लोगों के बीच जागरूकता बढ़ी है. इसके चलते दंपति के बीच परिवार नियोजन के साधनों की उपयोगिता 45.5 प्रतिशत से बढ़कर 62.4 फीसदी हो गई है.

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