Gorakhpur News: गोरखपुर के प्रमुख चौराहों पर अवैध वाहन स्टैंड संचालित हो रहे हैं. इससे आए दिन जाम की समस्या बनी हुई है. अधिकारियों द्वारा बार-बार दिशा निर्देश देने के बाद भी परिवहन माफियाओं के आगे जिम्मेदार बेबस नजर आ रहे हैं. गोरखपुर के रेलवे स्टेशन, रेलवे बस स्टेशन, यूनिवर्सिटी चौराहा, छात्रसंघ चौराहा, पैडलेगंज, धर्मशाला, शास्त्री चौक सहित कई प्रमुख चौराहों पर अवैध वाहन स्टैंड धड़ल्ले से चल रहे हैं. वह भी पुलिस की सरपरस्ती से.
इन अवैध वाहन स्टैंड पर ठूंस-ठूंसकर सवारियां भरी जाती हैं. पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी के ऊपर अवैध स्टैंड संचालन रोकने का जिम्मा है लेकिन यहां पुलिस की कार्यशैली पर बड़ा सवालिया निशान यह है कि जिन जिम्मेदारों पर ही इन्हें रोकने का जिम्मा दिया गया है वही जिम्मेदार इसे चलवा रहे हैं. गोरखपुर रेलवे बस स्टेशन के सामने कार्मल रोड पर सड़क के दोनों किनारों पर निजी वाहनों का कब्जा रहता है. विश्वविद्यालय से मोहद्दीपुर रोड पर नगर निगम ने वाहन स्टैंड बनाया है लेकिन सभी वाहन सड़क पर खड़े होते हैं. इस अवैध स्टैंड पर अराजकता भी बहुत होती है. इतना ही नहीं गोरखपुर के मोहद्दीपुर चौराहे पर आए दिन जाम की समस्या लगी रहती है. मगर निजी वाहन चालकों का दबदबा है कि वह यातायात पुलिस कर्मियों के सामने ही बीच चौराहे पर सवारिया बैठाते हैं. कई अवैध वाहन स्टैंड को पुलिस, आरटीओ और नगर निगम की टीम ने चालान कर कई वाहनों को सीज किया था. इतना ही नहीं अधिकारियों का सख्त आदेश था कि कोई भी निजी वाहन सवारी भरने के लिए यहां रुकना नहीं चाहिए. मगर सुबह से लेकर रात तक यहां निजी वाहनों का तांता लगा रहता है.
पुलिस की सरपरस्ती से चल रहे इस अवैध वाहन स्टैंड से रोजाना लाखों रुपए की वसूली होती है. अवैध वाहन स्टैंडओं की वसूली स्टैंड के संचालक के गुर्गे करते हैं और इसमें से पुलिस को हिस्सा पहुंचाते हैं. एक तरह से कहा जाए तो परिवहन माफियाओं के आगे प्रशासन, नगर निगम ,आरटीओ और यातायात की जिम्मेदार बेबस नजर आ रहे हैं. शासन के सख्ती के बाद भी शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर अवैध ऑटो, बस स्टैंड चल रहे हैं. बिहार के बगहा ,बाल्मीकि नगर ,मधुबनी ,गोपालगंज, सिवान के लिए गोरखपुर से रोजाना 50 से ज्यादा बसें जाती हैं. परिवहन माफिया स्टेशन रोड, बस अड्डे के पास सड़क पर खुलेआम सवारियां भरते हैं और वह भी प्रशासन और पुलिस की नाक के नीचे. मगर इन्हें रोकने और बोलने वाला कोई नहीं है. बिहार राज्य के रहने वाले कुछ परिवहन माफियाओं का रसूख इतना बड़ा है कि वह बसों के बिहार जाने और आने का परमिट जारी करने के साथ ही सवारी भरने का शेड्यूल भी जारी करते हैं.
रिपोर्ट : कुमार प्रदीप