वाराणसी में सावन माह में श्रद्धालुओं की भीड़ से कारोबारियों का बढ़ा मुनाफा, फूल-माला के व्यापारी भी बढ़े

द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर में इस बार कॉरिडोर बनने के बाद से मंदिर के आस-पास की दुकानों की बिक्री के मामले में खूब चांदी हुई है. फूल-माला वाले से लेकर प्रसाद और दूध तक कि बिक्री में लाखों का मुनाफा दर्ज किया जा रहा है. सिर्फ एक सोमवार को ही लगभग 70 से 75 लाख की बिक्री हुई है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 26, 2022 7:51 PM
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Varanasi News: सावन में काशी नगरी में हर इंसान बम भोले बम बोलता और झूमता नजर आ रहा है. द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर में इस बार कॉरिडोर बनने के बाद से मंदिर के आस-पास की दुकानों की बिक्री के मामले में खूब चांदी हुई है. फूल-माला वाले से लेकर प्रसाद और दूध तक कि बिक्री में लाखों का मुनाफा दर्ज किया जा रहा है. सिर्फ एक सोमवार को ही लगभग 70 से 75 लाख की बिक्री हुई है. इसी से समझा जा सकता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के आस-पास के स्थानीय दुकानदारों की कितनी कमाई हुई है.

‘कोई ऑप्शन नहीं बचा’

काशी विश्वनाथ व्यापार मंडल उपाध्यक्ष भानु मिश्रा का कहना है कि बाबा विश्वनाथ को दूध चढ़ाने की जो परम्परा है. उसकी वजह से दूध में अमूल और गोल्ड खूब बिका. 1 लीटर का पैकेट लेकर उसको लोग 5 लीटर का बनाते हैं औऱ बाबा को चढ़ाते हैं. कुछ नहीं तो 15 से 20 लाख रुपये का तो सिर्फ दूध बिक गया है. यदि एक-एक श्रद्धालु भी मात्र 100 रुपये का प्रसाद चढ़ाए होंगे तो भी 5 लाख लोग यदि आये हैं तो इस हिसाब से 50 लाख का मुनाफा हो गया. इस मुनाफ़े को तेज गति देने का काम किया है. श्रद्धालुओं के सामान रखने के लिये नगर निगम ने दशाश्वमेध और सिंधी धर्मशाला में उचित व्यवस्था की थी. मगर दोनों जगह पर्याप्त जगह न मिल पाने के कारण श्रद्धालुओं के पास फूल-माला की दुकान पर सामान रखने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं बचा.

बिचौलियों की भी रही मौज

ऐसे में जब तक किसी दुकान वाले के यहां फूल-माला व प्रसाद न लिया जाए तब तक वह सामान रखने के लिए लॉकर देगा ही नहीं. यह भी बड़ा कारण रहा मुनाफे का. यहां तक कि कपड़े के दुकानदारों ने भी अपनी दुकान बंद कर फूल-माला-प्रसाद की दुकान खोल ली है. यही कारण है कि ज्ञानवापी-चौक क्षेत्र में माला-फूल की दुकानों की संख्या बढ़ गई है. यहां लगभग 600 अस्थायी दुकानें व 450 स्थायी दुकानें है. सिर्फ़ 15 से 20 लाख का लायी चूड़ा रेवड़ी ही प्रसाद के नाम पर बिक गया है. इसमें सबसे ज्यादा चांदी बिचौलियों की रही जो कि दर्शन कराने के नाम पर कमीशन ले रहे हैं. ये दर्शन-पूजन कराने के नाम पर श्रद्धालुओं से कुछ पैसे लेते हैं.

रिपोर्ट : विपिन सिंह

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