Agra News: यमुना किनारे बने महात्मा गांधी स्मारक पर स्वतंत्रता दिवस के दिन भी नहीं लगा तिरंगा

देश की आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का स्मारक अमृत महोत्सव के दौरान बदहाली के आंसू रो रहा है. एत्माद्दौला क्षेत्र में यमुना किनारे स्थित गांधी स्मारक की हालत अत्यधिक बदहाल हो चुकी है. बल्कि स्मारक पर हर घर तिरंगा अभियान के तहत एक झंडा भी नहीं लगा है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 15, 2022 10:41 PM

Agra News: हमारा पूरा देश आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर आजादी का अमृत महोत्सव बना रहा है, लेकिन देश की आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का स्मारक अमृत महोत्सव के दौरान बदहाली के आंसू रो रहा है. एत्माद्दौला क्षेत्र में यमुना किनारे स्थित गांधी स्मारक की हालत अत्यधिक बदहाल हो चुकी है. बल्कि स्मारक पर हर घर तिरंगा अभियान के तहत एक झंडा भी नहीं लगा है. पेश है आगरा संवाददाता राघवेंद्र गहलोत की खास रिपोर्ट…

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आजादी से पहले साल 10 सितंबर 1929 को आगरा की यमुना नदी के किनारे स्थित बृजमोहन दास मेहरा की हवेली में 11 दिन तक रुके थे. महात्मा गांधी आगरा में स्वतंत्रता आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने और जिले के अनुयायियों से बात करने के लिए आए थे. इस दौरान उनका स्वास्थ्य खराब हो गया और उन्हें इस हवेली में 11 दिन तक विश्राम करना पड़ा. इस दौरान उन्होंने सैकड़ों अनुयायियों से स्वतंत्रता आंदोलन को लेकर चर्चा भी की. बापू के साथ आचार्य जेबी कृपलानी, कस्तूरबा गांधी, मीरा बहन और जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती भी यहीं रुकी थीं.

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आजादी के बाद 1948 में महात्मा गांधी की मृत्यु हो गई. इसके बाद हवेली के मालिक बृजमोहन दास मेहरा ने अपने पिता श्री रामकृष्ण दास की स्मृति में महात्मा गांधी ट्रस्ट को दान कर दी. महात्मा गांधी से जुड़ी हुई तमाम अमूल्य चीजों को यहां पर सहेज कर रख दिया गया. उसके बाद से ही इस हवेली का नाम गांधी स्मारक हो गया.

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गांधी स्मारक की देखरेख करने वाले यमुना घाट निवासी जगदीश यादव ने बताया कि गांधी स्मारक में ही एक शिव मंदिर स्थित है. यह शिव मंदिर गांधी स्मारक से भी पहले का है. वह अपने परिवार के साथ यहां पूजा अर्चना करते हैं साथ ही तमाम लोग भी इस मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं. उन्होंने बताया कि इस गांधी स्मारक का रखरखाव लंबे समय से उन्हीं के पास ही है. स्मारक के पीछे यमुना किनारे एक मैदान भी है जहां चबूतरे पर बैठकर गांधीजी भजन कीर्तन किया करते थे. वहीं जगदीश यादव ने बताया कि स्मारक में चारों तरफ घास उग आई हैं और पीछे बने मैदान में तमाम अराजक तत्व शाम को आकर मद्यपान का सेवन करते हैं और पूरे दिन जुआ खेलते हैं.

गांधी स्मारक में महात्मा गांधी से जुड़ी हुई तमाम चीजें रखी हुई हैं. इसमें उनका चरखा घड़ी और चश्मा रखा हुआ है. साथ ही, गांधी जी द्वारा बिताए गए समय की कई तस्वीरें भी इस स्मारक में मौजूद हैं. स्मारक में गांधीजी की प्रतिमा के नाम पर एक क्षतिग्रस्त मूर्ति रखी हुई है जिस पर कोई कपड़ा भी मौजूद नहीं है. उसे जगदीश यादव ने अपने घर के एक निजी कपड़े से ढक दिया है. स्मारक में जगह-जगह जाले लगे हुए हैं और कई जगह तो छत के प्लास्टर भी उखड़ गए हैं. कुछ समय पहले ही स्मारक में बाहर की तरफ बना हुआ छज्जा भी गिर गया था जिसकी अभी तक मरम्मत नहीं की गई है.

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आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. आगरा जिले की बात करें तो प्रशासन द्वारा सात लाख से ऊपर तिरंगे झंडे हर घर तिरंगा अभियान के तहत लगाए गए हैं. लेकिन स्वतंत्रता संग्राम के पुरोधा और देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का यह स्मारक प्रशासन की अनदेखी का शिकार हो रहा है. गांधी स्मारक पर सफाई की तो दूर की बात है 15 अगस्त के दिन एक तिरंगा तक नहीं लगाया गया.

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जगदीश यादव ने बताया कि 2016 में आगरा के तत्कालीन कमिश्नर प्रदीप भटनागर और उनकी पत्नी यहां पर आए थे. गांधी स्मारक की जर्जर हालत देखकर उन्होंने आगरा विकास प्राधिकरण को स्मारक की स्थिति सुधारने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद स्मारक में कई सारे काम किए गए. वहीं 2019 में तत्कालीन नगर आयुक्त अरुण प्रकाश नगर निगम के कर्मचारियों के साथ के साथ यहां पहुंचे थे. स्मारक में साफ-सफाई कराई थी. वहीं, उन्होंने विजिटर रजिस्टर में स्मारक को चिंतन स्थल व पुस्तकालय बनाये जाने की बात भी कही थी.

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