महोबा जिला अस्पताल में खून की जगह लाल रंग की दवा डालकर चढ़ा दिया ग्लूकोज, बीमार की मां से 5 हजार भी वसूले

जनपद के श्रीनगर थानाक्षेत्र के भड़रा ग्राम निवासी रामकुमारी देवी अपने बीमार बेटे जुगल की इलाज को उसे बीते सोमवार को जिला अस्पताल लेकर आई थी. इसके बाद वहां मौजूद चिकित्सक ने बुजुर्ग मां से तत्काल खून चढ़ाने की बात कही. उसे अस्पताल की ओर से कहा गया कि जिस ग्रुप के खून की जरूरत उसे है, वो फिलहाल नहीं है

By Prabhat Khabar News Desk | May 29, 2022 4:22 PM

Mahoba News: उत्‍तर प्रदेश के महोबा के जिला अस्‍पताल में एक अनोखा मामला सामने आया है. बेटे के इलाज के लिए अस्‍पताल पहुंची मां से स्‍वास्‍थ्‍यकर्म‍ियों ने पहले रिश्‍वत वसूली. मां ने रिश्‍वत की रकम भी जेवर बेचकर दी. यही नहीं रुपया लेने के बाद बीमार बेटे को ग्‍लूकोज में लाल रंग की दवा मिलाकर खून की जगह उसकी रगों में चढ़ा दे दिया गया. सारा आरोप अस्पताल में तैनात एक महिला स्वास्थ्यकर्मी पर लगा है. बुजुर्ग महिला के मुताबिक, उससे खून की व्यवस्था कराने के नाम पर 5 हजार रुपये वसूले गए थे.

महिला से 5000 रुपये वसूले

जानकारी के मुताबिक, जनपद के श्रीनगर थानाक्षेत्र के भड़रा ग्राम निवासी रामकुमारी देवी अपने बीमार बेटे जुगल की इलाज को उसे बीते सोमवार को जिला अस्पताल लेकर आई थी. इसके बाद वहां मौजूद चिकित्सक ने बुजुर्ग मां से तत्काल खून चढ़ाने की बात कही. उसे अस्पताल की ओर से कहा गया कि जिस ग्रुप के खून की जरूरत उसे है, वो नहीं है. ऐसे में पीड़िता परेशान हो गई. आरोप है कि जिला अस्पताल में तैनात महिला स्वास्थ्यकर्मी राजकुमारी ने इसका फायदा उठाते हुए महिला से खून के एवज में 5000 रुपये वसूल लिए. इसके बाद उसे भरोसा दिलाया कि उसके बेटे को खून चढ़ा दिया जाएगा. मगर महिला स्वास्थ्यकर्मी ने उसके बेटे को खून की जगह ग्लूकोज में लाल रंग का इंजेक्शन मिलाकर चढ़ा दिया. इस मामले के प्रकाश में आने के बाद जिला अस्पताल के जिम्मेदारों ने कार्रवाई की बात कही है. साथ ही, बुजुर्ग को हरसंभव मदद का भरोसा भी दिलाया जा रहा है.

कान की बाली और अंगूठी बेची

पीड़ित बुजुर्ग महिला ने स्‍थानीय मीड‍िया से बताया कि जिला अस्पताल में बेटे को भर्ती करने के एवज में भी उससे 200 रुपये लिए गए. इसके अलावा रोजाना इंजेक्शन लगाने के नाम पर भी 100-100 रुपये लिए जाते हैं. पीड़िता ने आगे बताया कि उसके पास अपने बेटे का इलाज कराने के लिए एक भी पैसा नहीं था. ऐसे में वह अस्पताल में नि:शुल्क इलाज की उम्मीद लेकर आई थी. मगर यहां की लूटखसोट में उसने अपने बेटे की जान बचाने के लिए अपने कान की बाली और अंगूठी बेच दी.

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