Prayagraj News: यूपी के मैनपुरी में जन्मी प्रख्यात उपन्यासकार गीतांजलि श्री (Geetanjali shree) को बुकर पुरस्कार मिलने पर प्रदेशभर में खुशी का माहौल है, लेकिन बहुत कम लोग जानतें हैं कि गीतांजलि श्री का प्रयागराज से भी गहरा नाता है. यही कारण है कि संगम नगरी के साहित्यकारों में खासा उत्साह है. इतिहास में हिंदी का यह पहला उपन्यास है जिसे यह सम्मान मिला है. उपन्यास ‘रेत समाधि’ का डेजी रॉकवेल ने अंग्रेजी में ‘टूंब ऑफ सैंड’ के नाम से अनुवाद किया है. जिसने 2022 का अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार अपने नाम कर लिया है.
दरअसल, साहित्यकार गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘रेत समाधि’ को राजकमल प्रकाशन ने हिंदी में प्रकाशित किया था. इस उपन्यास में भारतीय मूल की डिप्रेशन की शिकार महिला की कहानी है जो बॉर्डर पार कर पाकिस्तान जाना चाहती है, और वह खुद को डिप्रेशन से बाहर लाने में सफल भी होती है. गौरतलब है कि साहित्यकार श्री गीतांजलि का “रेत समाधि” पांचवा उपन्यास है.
उनका पहला उपन्यास “माई” दूसरा “उपन्यास हमारा शहर उस बरस” 90 के दशक में आया था. इसके बाद उन्होंने “तिरोहित” उपन्यास लिखा. जिसकी चर्चा महिलाओं के समलैंगिकता को लेकर प्रथम उपन्यास के रूप में भी होती है. इसके बाद गीतांजलि का चौथा उपन्यास “खाली जगह” आया. गीतांजलि के उपन्यास “रेत समाधि” को मिले अंतरराष्ट्रीय बुकर अवॉर्ड को 13 अन्य कृतियों के साथ शॉर्टलिस्ट किया गया था.
हिंदी साहित्यकारों का देश ही नहीं बल्कि दुनिया में मान बढ़ा चुकीं श्री गीतांजलि का संगम नगरी से गहरा नाता रहा है. या यूं कहें कि श्री गीतांजलि का बचपन प्रयागराज की गलियों में ही गुजरा है. उनकी 10वीं-11वीं की शिक्षा प्रयागराज के सेंट मैरीज स्कूल में हुई है. उनके पिता अनिरुद्ध पांडे प्रयागराज के जिला अधिकारी रह चुके हैं. वहीं, उनके अपने जानने वालों में शामिल इलाहाबाद विश्वविद्यालय की प्रोफेसर आशा लाल और उनकी बचपन की सहेली गौरी भी उनकी इस कामयाबी से काफी गदगद हैं.
दरअसल, लेखक-उपन्यासकार गीतांजलि श्री का जन्म 12 जून 1957 को यूपी के मैनपुरी जिले में हुआ. उनकी प्रारंभिक शिक्षा प्रदेश के विभिन्न शहरों में हुई. इसके बाद उन्होंने आगे की शिक्षा के लिए दिल्ली का रुख किया. यहां उन्होंने राजधानी के लेडी श्रीराम कालेज से स्नातक और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से इतिहास में एमए किया.
रिपोर्ट- एसके इलाहाबादी