IRCTC News, Jharkhand News, Ranchi News: रांची : उत्तर प्रदेश के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में लॉ की पढ़ाई करने वाली रांची की एक लड़की ने रेलवे को उसकी गलती का एहसास कराया. उसने राजधानी एक्सप्रेस को 535 किलोमीटर की यात्रा करने के लिए मजबूर किया. इस ट्रेन के इतने लंबे सफर में वह अकेली यात्री थी.
जी हां, झारखंड के लातेहार जिला में टाना भगतों के रेलवे ट्रैक जाम करने की वजह से गुरुवार (3 सितंबर, 2020) को राजधानी एक्सप्रेस के सभी यात्रियों को डाल्टनगंज स्टेशन पर उतारकर बस से उनके गंतव्य के लिए भेजा गया. लेकिन, एक लड़की ट्रेन से ही रांची जाने पर अड़ गयी.
आखिरकार इस अकेली लड़की ने भारतीय रेलवे को राजधानी एक्सप्रेस को परिवर्तित मार्ग से रांची तक चलाने के लिए मजबूर कर दिया. सोशल मीडिया पर लॉ की इस छात्रा के फैसले को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं, लेकिन अनन्या का कहना है कि उसने ऐसा करके रेलवे को उसकी गलती का एहसास कराया है.
राजधानी एक्सप्रेस में अकेली यात्रा करने के बाद वह चर्चा में आ गयी. इस पर उसने कहा कि आंदोलन करके वह सेलिब्रिटी नहीं बनना चाहती. लेकिन, रेलवे को उसकी गलती का एहसास कराने के लिए उसने ऐसा किया. दरअसल, टाना भगतों के आंदोलन के कारण राजधानी एक्सप्रेस को डाल्टनगंज में सात घंटे तक रोकना पड़ा.
ट्रेन में कुल 930 यात्री सवार थे. इनमें से 929 लोगों को जिला प्रशासन ने बसों के जरिये उनके गंतव्य तक पहुंचाया. अनन्या ने बस में जाने से इनकार कर दिया. उसने कहा कि वह रांची तक ट्रेन से ही जायेगी. उसकी जिद के आगे रेलवे को झुकना पड़ा और गया-गोमो मार्ग से 535 किलोमीटर की यात्रा करके राजधानी एक्सप्रेस रांची पहुंची.
अनन्या ने कहा है कि मीडिया वाले उसके व्यक्तित्व पर फोकस कर रहे हैं. इसकी जगह उन्हें रेलवे की व्यवस्था पर फोकस करना चाहिए. अनन्या ने कहा कि ट्रेन को रांची स्टेशन तक आना ही था. उन्होंने रांची तक का किराया रेलवे को दिया था. यात्रियों से किराया लेने के बाद पैसेंजर को रेलवे कहीं भी कैसे उतार सकता है.
डाल्टनगंज में जब ट्रेन को घंटों रोके रखा गया, तो अनन्या ने ट्वीट करके और एक वीडियो पोस्ट करके रेलवे से मदद मांगी. डीआरएम, रेल मंत्री से लेकर रेल मंत्रालय एवं पीएमओ तक को अपना दुखड़ा सुनाया. लेकिन, अनन्या का कहना है कि किसी ने उनकी मदद नहीं की.
दक्षिण पूर्व रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी एस घोष ने कहा कि कोई भी ट्रेन एक मुसाफिर के लिए नहीं चलायी जा सकती. डाल्टनगंज में सभी यात्री उतर गये, लेकिन अनन्या ने रेलवे पर भरोसा जताया. उसे डर था कि वह बस में जायेगी, तो उसे कोरोना का संक्रमण हो सकता है. सो उसने ट्रेन में ही आगे की यात्रा करने का फैसला किया. यह उसका हक भी था. उसके पास दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन से रांची तक का टिकट था. राजधानी को सफाई और अन्य काम के लिए रांची आना ही था, सो रेलवे ने उसकी बात मान ली और उसे उसी ट्रेन से रांची लाया गया.
Posted By : Mithilesh Jha